dahej mukt mithila

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बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

मिथिला गीत


मधुबनी स भागलपुर तक मिथला के पहीचान छै |
देवघर स सितामढी तक विद्यापति के गान छै ||


मैथली भाषा सबहक भाषा मैथिल हमर महान छै |
राजा शलहेस मांडन आ अयाची भद्री स सम्मान छै ||


मिथला मे सब नीके नीक हम्मर भाषा सब स मीठ |
सीता हमरे घर के बेटी गाबी विद्यापति के गीत ||


हमरे मिथला के छला विदेह अहिल्या बनली जत सदेह |
परुशराम गोतम के शान अश्टाबक्र के अजबे देह ||


कालीदास के डीह पुरान मैथिल हम्मर सब स ठिक |
मिथला मे सब नीके नीक हम्मर भाषा सब स मीठ ||

खान पान के अलगे रुप तीलकोर के देखते लागत भुख |
घर - घर  भेटत  पान मखान रंग  बीरंगक  सागक  रुप ||


दरभंगा स मधेपुरा तक सबठन भेटत ऐक्के रंग रित | 
नेता - मुखिया  सब दिन  गाबैथी  मिथिले  के  ई गीत ॥ 

अखनो हम सब सब स आगा मैथिल नही अछी कतहु अभागा | 
जतय गेल लहरेलक झंडा बर मजगुत छै प्रेमक धागा | | 


आनन्द कोना फेर गाम स भागल कोना की भेलय कहु ने मित । 
निक बजय  सव के संगे होईत अच्छी  जे बुझी से भेल निक  ॥ 



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