dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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रविवार, 28 सितंबर 2014

चिठ्ठी - विनय बिहारी जी के नाम




   
श्रीयुत् विनय बिहारीजी  

   माननीय कला एवं संस्कृति मंत्री,बिहार ।

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नवरात्रा की शुभकामनाओं के साथ कहना चाहूँगा कि मुझे पूर्व में कुछ दिन आपके सानिध्य में आने का सौभाग्य रहा है और आप मेरे FB मित्र भी हैं इसलिये, आपसे खुली बात करने में मुझे कोई संकोच नहीं है।

      आपने दरभंगा के KSDS विश्वविद्यालय के सभागार में घोषणा की कि दरभंगा में रवीन्द्र भवन बनेगा।इसमे क्या शक कि रवींद्रनाथ टैगोर पूरे देश के गौरव हैं परंतु, मिथिला में भी विभूतियों की कमी नहीं।स्वयं रवींद्र नाथ टैगोर ने विद्यापति की रचना से प्रभावित होकर भानुसिंहेर पदावली की रचना की।तो मिथिला मे पहले तो महाकवि विद्यापति फिर, रवींद्र नाथ टैगोर।वैसे भी, मिथिला याज्ञवल्क्य,गौतम,कणाद,कौशिक,कपिल,द्विजेश,मंडन मिश्र,शुकमुनि,सीता,हनुमान,जैसे ईश्वरीय नामों से विभूषित है।मिथिला मे इनलोगों के नाम से संस्थान बनबाइये और यशस्वी बनिये।

   (2)मैथिली मंच पर भोजपुरी गीत गाकर कृपया, मैथिलों को दिग्भ्रमित नहीं करें।हमें किसी भी भाषा से कोई दुराव नहीं।परंतु,मैथिली की महत्ता आप जान पायेंगे तो आप भी मैथिली-मैथिली करेंगे।इस भाषा की अपनी लिपि,अपना व्याकरण,विश्व प्रसिद्ध साहित्य और साहित्यकार हैं जिसके आधार पर मैथिली को संविधान की अष्टम् अनुसूची में स्थान मिला।भोजपुरी भाषा की विचित्र स्थिति है।

       वस्तुतः यह काशी में अवधी से मिलती जुलती है,चंपारण में चंपारणी भाषा है,पटना के इर्दगिर्द यह मगही है।वस्तुतः भोजपुरी केवल आरा,छपरा,बलिया और बक्सर तक सिमटी है। किसी भी भाषा की साहित्यिक पहचान उसकी सहायक क्रियायों से होती हैं जो आजतक भोजपुरी में निर्धारित ही नहीं हो सकी।कहीं बा,कहीं लन,कहीं खे ।क्या जरूरत है मैथिलों को इस उलझन में पड़ने की।आपकी भाषा है,आप इसकी सेवा में लगे रहें, कोई आपत्ति नहीं परंतु,मिथिला में कला संस्कृति विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मैथिली का प्रभुत्व रहने दीजिये।यह जगज्जननी जानकी की मातृभाषा है ।इसे अपने ही घर में प्रभावहीन करने की राजनीति नहीं कीजिये। यह मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है।आशा है आप मेरा पोस्ट पढ़कर मनन करने का कष्ट करेंगे।
सधन्यवाद।

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Respected bihari babu
pranam .
I am ranjana thakur from Madhubani bihar living in pune write a novel based on how dowry kill our society mainly our maithila society where every member of our family are suffer when her daughter become adult and father want her marriages to good person how father brother,mother and herself sacrifice .after one week i send you a sample of novel .

BIGBANGVIKASH ने कहा…

Sir,
I am a Bhojpuri speaking native of bhojpur district. I read your "letter" to Minister and am amused by your style of writing. On the one hand you wrote you have nothing against Bhojpuri but on the other hand wrote everything you could against my beloved mother tongue.
When you wrote that Bhojpuri varies from place like Kashi to Champaran,you were right but when you will ask natives of both these places, what their language is they will proudly say, Bhojpuri. This is not the case with Maithili.People of the areas you people claim to be maithil speaking except Darbhanga, Madhubani, Sitamarhi, Saharsa and Sheohar don't consider themselves Maithil.You can conform this from data of Census 2011 in which they given Angika/Bajikka as their mother tongue.

BIGBANGVIKASH ने कहा…

Sir,
I am a Bhojpuri speaking bihari of bhojpur district. I read your "letter" to Minister and am amused by your style of writing. On the one hand you wrote you have nothing against Bhojpuri but on the other hand wrote everything you could against my beloved mother tongue.
When you wrote that Bhojpuri varies from place like Varanashi to Champaran,you were right but when you ask natives of both these places what their language is, they will proudly say, Bhojpuri. This is not the case with Maithili.People of the areas you people claim to be Maithili speaking except Darbhanga, Madhubani, Sitamarhi, Saharsa and Sheohar don't consider Maithili as their language. You can confirm this from data on language of Census in which they had given Angika/Bajikka as their mother tongue.