dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शनिवार, 6 सितंबर 2014

अनंत पूजा

अनंत पूजा 
 
    अनंत भगवान विष्णु सृष्टि के आरंभ में चैदह लोकक 'तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह' केर रचना कयने छलाह । अहि सभ लोकक पालन करबाक हेतु स्वयं 14 रूप में प्रकट भेलाह जाहि सौं अनंत प्रतीत होमेय लगलाह।

        ताहि कारणे अनंत पूजा के दिन एक गोट पात्र में दूध, मधु, दही, घी और गंगाजल मिला क्षीर सागरक निर्माण कयल जैत अछि । फेर कचका ताग सौं बनल चैदह गिठ्ठह वाला अनंत सूत्र सौं भगवान अनंत के क्षीर सागर में ताकल जैत अछि । 



पूजाक पश्चात अहि ताग के अनंत भगवानक स्वरूप मानि पुरूष अपना दाहिना बांहि पर और स्त्री बाम बांहि पर अनंत के धारण करैत छथि।

मान्यता इहो अछि जे युधिस्ठीर के अप्पन राज पाट अहि उपास सौं पुनः प्राप्त भेल छलन्हि।

अनंतक चैदहो गिठ्ठह में प्रत्येक गिठ्ठह एक एक लोकक प्रतीक होइत अछि जकर रचना भगवान विष्णु केने छलाह। अहि प्रत्येक गिठ्ठह में भगवानक ओहि चैदह रूपक वास मानल जैत अछि जे चौदह लोक में वास करैत छथि।

Sanskar - संस्कार
https://www.facebook.com/sanskar.bharat/info

कोई टिप्पणी नहीं: