dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 4 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

प्रेमक दुनियाँ में संसारक रित धनी तोईर दिय
शराबी ठोरक रस हमरा ठोर पर घोईर दिय

प्रेमक बैरी इ दुनिया की जाने प्रेम सनेहक मोल
अनमोल प्रेम सं दिल टूटल हमर जोईर दिय

अहिं हमर जिनगी छि हम अहिं प्रेम केर दीवाना
दिल लगा कs हमरा सं जमाना के पाछु छोईर दिय

प्रेमक पंछी हम अहाँ उईर चलू प्रेम नगर में
कियो देखैय खराप नजैर सं ओकर मुह मोईर दिय

अप्पन प्रेम देख क दुनिया जैईर जैईर मरतै
प्रेमक दुश्मन जमाना के अहाँ धनी झकझोईर दिय

-----------वर्ण-२०------------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

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