अभय कान्त झा दीपराज कृत-
ग़ज़ल
ज़िन्दगी में तुम्हें जब भी ठोकर लगे, याद रखना मेरा प्यार काम आयेगा |
मैं करूँगा दुआ जब किसी के लिए, मेरे होंठों पे तेरा भी नाम आयेगा ||
मेरी हस्ती बड़ी तो नहीं है मगर, हाथ थामूँगा तेरा, निभाऊँगा मैं,
दोस्त तूफाँ में होगी जो कश्ती तेरी, बन के साहिल मेरा हर कलाम आयेगा ||
बात हो शाम की या सुबह की किरण, तेरी राहों से काँटे चुनेगा ये दिल,
कोई तुझको निहारे, न चाहूँगा मैं, बन के चिलमन मेरा हर सलाम आयेगा ||
मुस्कुराकर किसी को जो देखोगे तुम, दिल जलेगा मगर मैं ये सह जाऊँगा,
दर्द भी तेरा सहने की खातिर कभी, दोस्त हाथों में मेरे न जाम आयेगा ||
कोशिशें यूँ न कर भूलने की मुझे, कोई सपना नहीं हूँ हकीकत हूँ मैं,
आँख से जब भी छलकेंगे आँसू तेरे, बन के आँचल मेरा हर पयाम आयेगा ||
मेरा रिश्ता ये तुझसे नया तो नहीं, हमसफ़र खेल है ये पुराना बहुत,
देखना एक दिन ये बताने तुझे, खुद ज़हां के खुदा का निजाम आयेगा ||
रचनाकार - अभय दीपराज
ग़ज़ल
ज़िन्दगी में तुम्हें जब भी ठोकर लगे, याद रखना मेरा प्यार काम आयेगा |
मैं करूँगा दुआ जब किसी के लिए, मेरे होंठों पे तेरा भी नाम आयेगा ||
मेरी हस्ती बड़ी तो नहीं है मगर, हाथ थामूँगा तेरा, निभाऊँगा मैं,
दोस्त तूफाँ में होगी जो कश्ती तेरी, बन के साहिल मेरा हर कलाम आयेगा ||
बात हो शाम की या सुबह की किरण, तेरी राहों से काँटे चुनेगा ये दिल,
कोई तुझको निहारे, न चाहूँगा मैं, बन के चिलमन मेरा हर सलाम आयेगा ||
मुस्कुराकर किसी को जो देखोगे तुम, दिल जलेगा मगर मैं ये सह जाऊँगा,
दर्द भी तेरा सहने की खातिर कभी, दोस्त हाथों में मेरे न जाम आयेगा ||
कोशिशें यूँ न कर भूलने की मुझे, कोई सपना नहीं हूँ हकीकत हूँ मैं,
आँख से जब भी छलकेंगे आँसू तेरे, बन के आँचल मेरा हर पयाम आयेगा ||
मेरा रिश्ता ये तुझसे नया तो नहीं, हमसफ़र खेल है ये पुराना बहुत,
देखना एक दिन ये बताने तुझे, खुद ज़हां के खुदा का निजाम आयेगा ||
रचनाकार - अभय दीपराज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें