dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011

बदरा उमैर उमैर घनघोर

बदरा उमैर उमैर घनघोर
बरसे आंगन मोर
प्यासल तनमन अछि
हृदय भेल हमर विभोर
दिल चुराक प्रीतम मोर
कतय गेले चितचोर //२
सिनेहियाक सूरत देखैले
नैना सं झहरे नोर
रिमझिम रिमझिम सावन वर्षे
तनमन में अगनके जलन
सजन उठल बड जोर
कतय गेले चितचोर //२
अंग अंग ब्यथा उठल
फटेय पोर पोर
बदरा के बूंद बूंदमें
लगैय संगीतक शोर
खन खन खनकैय कंगना
छम छम बजैय पायल मोर //२
पिया लग आऊ प्यास बुझाऊ
मोनमें उठल बड जोरक हिलोर
अहां बिनु जोवन भेल भारी मोर
कतय गेले सजन चितचोर
विरहिन भेष देख हमर
मुस्की मारैय चानचकोर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: