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सोमवार, 18 अगस्त 2025

आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया

 


  अमेरिका पिछले 100 सालों से महाशक्ति रहा है। उन्होंने हर उस देश को नष्ट कर दिया है जिसने उन्हें चुनौती दी।*

जब जापान ने उन्हें चुनौती दी, तो उन्होंने उन्हें नष्ट कर दिया। जब यूएसएसआर ने उन्हें चुनौती दी, तो उन्होंने उन्हें 17 टुकड़ों में तोड़ दिया।

जब इराक ने अपना सिर उठाया, तो उन्होंने उन्हें नष्ट कर दिया। उन्होंने ईरान के साथ भी ऐसा ही किया।

*आजकल चीन है। लेकिन भारत के अधिक भू-राजनीतिक महत्व प्राप्त करने के साथ, भारत की बारी आ गई है।*

 पिछले 100 सालों से अमेरिकी उद्योगपतियों ने दुनिया के टॉप टेन उद्योगपतियों पर अपना दबदबा कायम रखा है, टॉप 10 में से 8, 9 तो सिर्फ अमेरिकी उद्योगपति हैं, कोई और दूर-दूर तक नहीं l

जब चीन के *"जेक मा"* ने तीसरा स्थान हासिल किया तो उनके खिलाफ *"लॉबिंग"* शुरू हो गई और उन्हें भागना पड़ा, वे अब अडानी और अंबानी जैसे भारतीय कारोबारियों के पीछे पड़े हैं।

अमेरिका की ताकत उसका उद्योग है, वह तकनीक और व्यापार के बल पर पूरी दुनिया को नियंत्रित करता है,

*अगर कोई देश या उद्योगपति उनसे मुकाबला करेगा या उन्हें चुनौती देगा तो वे अरबों रुपए खर्च करके उन्हें बर्बाद कर देंगे*  

पिछले पांच सालों में भारतीय उद्योगपति *"अडानी"* ऊंची उड़ान भर रहे थे, पिछले साल वे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उद्योगपति बन गए थे, अगर यही रफ्तार जारी रहती तो वे 2024 में दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति बन जाते, दुनिया भारत की तरफ देखती l

ऊर्जा पर निर्भरता भारत की कमजोरी रही है, जिसके कारण 1991 में भी भारत को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था  भारत के तेल आयात बिल में भारी वृद्धि के कारण संकट और गहरा गया है। अडानी भारत की सबसे *महत्वाकांक्षी परियोजना-* दुनिया की सबसे कम लागत वाली ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना स्थापित करके भारत की ऊर्जा को सुरक्षित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो समय के साथ तेल और गैस की जगह ले लेगी। यह हिंडनबर्ग द्वारा अडानी पर बार-बार किए गए हमलों की व्याख्या करता है। और हाल ही में सीएनबीसी द्वारा अडानी के दुनिया के दूसरे ट्रिलियनेयर बनने के पूर्वानुमान के साथ, समूह पर हमले यहां से और तेज होंगे।

यदि भारत *'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया'* अभियान चला रहा है, तो इसका मतलब है कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है - जिसमें दुनिया की 20% आबादी रहती है, जो किसी भी अन्य अर्थव्यवस्था की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। अगर भारत आने वाले 20 सालों में आत्मनिर्भर हो जाता है, तो अमेरिका, यूरोप, चीन के साथ-साथ अरब जगत को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।  भारतीय रुपया एक डॉलर के मुकाबले और मजबूत होता रहेगा

भारत में भी लॉबिंग शुरू हो गई है, हर देश में *"पप्पुओं"* की कमी नहीं है, मीडिया को खरीदा जा सकता है, यही समूह एक दशक पहले कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन में भारत की तेल और गैस परियोजना को समाप्त करने वाली शक्ति का कारण बना था।

यूट्यूब, फेसबुक, गूगल, ट्विटर ये सभी प्लेटफॉर्म अमेरिका के हैं, वो जब चाहे किसी के खिलाफ अभियान चला सकता है 

*भारत में मूर्खों, पप्पुओं, जयचंदों, देशद्रोहियों की कोई कमी नहीं है, चीन में ये सब आसान नहीं है, वहां लोकतंत्र नहीं है,*

वहां प्रोपेगेंडा, झूठ फैलाना आसान नहीं है, चीन खुद भारत को आगे बढ़ने से रोक रहा है।

 *आने वाले समय में "भारत" के लिए और भी चुनौतियाँ हैं,*

अमेरिका ने अफगानिस्तान में रूस के खिलाफ *"तालिबान"* जैसे संगठन खड़े करने में अरबों, खरबों डॉलर खर्च किए थे,

*भारत को अस्थिर करना और भी आसान है, यहाँ देशद्रोहियों और गद्दारों की कमी नहीं है, यहाँ के कुछ नेताओं के बयानों को देखिए, वे खुलेआम विदेशी एजेंट की तरह काम कर रहे हैं, जज बिक चुके हैं, मीडिया बिक चुकी है, नेता बिकाऊ हैं,*

*जब तक भारत के लोग समझदार और चतुर नहीं बनेंगे, भारत "महाशक्ति" नहीं बन सकता*

भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, कोई भी देश नहीं चाहेगा कि भारत आत्मनिर्भर बने, इसलिए ऐसी बातें कहने वाली सरकारों को हराना/गिराना होगा।

विदेशी ताकतें भारत में *"मिश्रित/ कमजोर"* सरकार चाहती हैं, जिसके गिरने का हमेशा डर बना रहता है।

भारत में पिछले दस सालों से स्थिर और मजबूत सरकार है

उन्हें इस बात से परेशानी है कि भारत सरकार अपने ही उद्योगपतियों को मजबूत बना रही है, इनकी सोच है कि इनके पंख काटने हैं, किसी भी देश की ताकत उसके *"उद्योगपति"* होते हैं जो अपने देश के हुनर और चीजों को विदेशों में बेचते हैं,, उनके हितों की रक्षा करना सरकार का काम है 

अगर आज *"अडानी, अंबानी, टाटा, महिंद्रा"* दुनिया को चुनौती दे रहे हैं तो क्या इनकी बर्बादी का जश्न मनाने वाले हमारे देश के ये गद्दार विदेशी एजेंट नहीं हैं ?

*पहचानिए इन्हें, ये वही जयचंद हैं।*

ये जयचंद आस्तीन के इतने जहरीले सांप हैं कि इन्हें हर भारत विरोधी बात में खुशी मिलती है। ये देश की तरक्की से जुड़े किसी भी आंकड़े या रिपोर्ट को मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अगर इन्हें कहीं भी देश के खिलाफ कुछ भी दिख जाए तो ये खुशी से पागल हो जाते हैं।

मीडिया लाचार है, बिकाऊ है, ये इन गद्दार नेताओं से सवाल नहीं पूछेगी,

*लेकिन हम लाचार नहीं हैं,*

इस पोस्ट को पढ़ने वाला 1 व्यक्ति - 1 सदस्य द्वारा कम से कम 20 लोगों या समूहों को यह संदेश अग्रेषित करके और उन्हें इसे आगे अग्रेषित करने का अनुरोध करके हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से देश को विभाजित करने के अमेरिका के अभियान को भी परास्त कर सकते हैं।

हमें कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि देश हमारा है, प्रधानमंत्री हमारे हैं, और इस देश से जुड़ा वर्तमान और भविष्य हमारा और हमारी पीढ़ियों का है।

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