हम केवल निमित्त मात्र है इससे ज्यादा और कुछ नही..बहुत ही ज्ञानवर्धक कथा जरूर पढे..!!
कोई भी छोटा-बड़ा काम करो तो तुम ये कभी मत समझना की ये मैं कर रहा हुं या उसे अपने नाम से कभी मत रखना!
एक धार्मिक स्थान पर एक सेठ जी भंडारा करते थे एक बार एक संत श्री वहाँ प्रसाद ग्रहण करने आये तो उन्होने देखा की सेठजी के मन मे अहंकार का उदय हो रहा है तो उन्होने कहा सेठजी बिना उसकी कृपा के हम कुछ भी नही कर सकते, उसकी कृपा न हो तो खिलाना तो बहुत दूर की बात सामने परोसी हुई थाली अरे थाली क्या हाथ मे लिया ग्रास भी हाथ मे रह जाता है।
सेठजी आप यही सोचना की दाने- दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम अरे ये तो उसकी महानता है जो कर तो वो रहा है और नाम हमें दे रहा है! सेठजी जो काम रामजी को करना है वो तो वो करेंगे आप तो ये समझना की उन्होने इस धर्म-कर्म के लिये मुझे चुना है यही मेरा परम सौभाग्य है!
सन्त श्री तो कहकर चले गये पर सेठजी को ये हज़म नही हुआ कि दाने दाने पर भी भला खाने वाले का नाम लिखा होता है क्या? सेठजी को भूख लग रही थी वो भण्डार कक्ष मे गये एक थाली मे भोजन लिया और मन मे सोचने लगे कि इस भोजन पर मेरा नाम लिखा है देखता हूँ कि मुझे कौन रोकता है....?
सेठजी ने जैसै ही पहला ग्रास हाथ मे लिया तो दुसरे हाथ मे जो फोन था उसपे घंटी बजी फोन उठाया तो उन्हे सूचना मिली की बेटे का एक्सीडेंट हो गया और वो हॉस्पिटल मे भर्ती है सेठजी तत्काल रवाना हुये।
हॉस्पिटल मे सेठजी की पत्नी ने कहा की बेटा अब ठीक है बेटे को कुशल मंगल देखकर वही बैठे पत्नी के हाथ में चावल का एक दोना था तो सेठजी भूख से व्याकुल थे उन्होंने दोना लिया और चावल खाने लगे खाने के बाद सेठजी ने पूछा अरे तुमने खाया या नही तो पत्नी ने कहा की लेकर तो मैं अपने लिये ही लाई थी पर शायद इस प्रसाद पर रामजी ने आपका नाम लिखा था!
अब सेठजी को सन्त श्री की वो सारी बाते याद आई और फिर जीवन मे कभी उन्होने अपने नाम से कुछ भी न चलाया सब रामजी के नाम से चलाया!
जिन्दगी मे ये सदा याद रखना कि यदि कोई अच्छा कार्य, विशेष कार्य अथवा कोई शुभ-कर्म सम्पन्न हो जाये तो ये कभी न सोचना - मैं कर रहा हूँ! बस यही सोचना की मेरे राम मुझसे करवा रहे है और जिसने भी ये समझने की भुल की कि मैं कर रहा हूँ, तो वह रामजी से दूर हो गया यदि रामजी का सामीप्य चाहते हो तो हमेशा यही समझना कि मैं नही कर रहा हूँ। मैं नही हूँ, जो कुछ भी है वो सियाराम है और वही मुझसे करवा रहे है। वो मुझे निमित्त बना रहे है और मैं सिर्फ एक निमित्तमात्र हूँ इससे ज्यादा और कुछ भी नही कुछ भी नहीं!
निज चरणन की भक्ति हॆ नाथ मुझे दे दो!
वाणी मे भी शक्ति हॆ नाथ मुझे दे दो!
तेरी सेवा मिलती रहे इतनी सी कृपा कर दो..!!
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