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जागल जन जन लहरि उमंगक
मंद मधुर मुस्कान सन ।
चकमक चकमक दीप जरैया
अंगना लागै चान सन ।।
अडिपन ऊपर कलश अछि साजल
तेहिपर चौमुख बाती ।
सभतरि पसरल दीप कतारहि
दिव्य ज्योति केर पाँति ।।
कुसुम लता चहुँ साजल अनुपम
मधु मकरंद बगान सन ।। जागल.......
शतदल ऊपर सुशोभित देखू
स्वर्ण कलश लय माता ।
दुःख दारिद्रक हारिन मैया
सबहक भाग्य विधाता ।।
पेड़ा पान प्रसाद पात पर
सजल पुष्प परिधानक सन ।। जागल...
"रमण" शरण गहि माँगि रहल अछि
भक्त नै अपन बिसारू ।
एक दृष्टि दय ताकू एम्हरो
हमरो जग सँ तारू ।।
अंधकार जीवन मे जागृत
कलर व करू विहान सन ।। जागल.....
गीतकार - रेवती रमण झा "रमण"
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