dahej mukt mithila

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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

विधवा विवाह - ममता झा


विधवा विवाह


         विधवा शब्द एकटा श्राप जकाँ लगईया।ई शब्दे झकझोरने अई।पहिने त छुत जकाँ व्यवहार कैल जायत रहै।लोग एना विधवा के देखईत छल जेना ओ कते पैघ गुनाहगार हुए।आब कनिक लोग जागरूक भेल अई।विधवा के जीवन सुरक्षित कर के लेल  ,सबस बात विचार करी क ,फेर स विवाह केनाई उचित मानल गेल।

      कोनो आदमी मृत्यु के कालचक्र मे कहिया परत ई बात क्यो नई जानंई या| स सिर्फ भगवाने टा जनईत छईथ|जन्म-मृत्यु हुनके हाथ मे अई ,तखन नारी कोना दोषी भेल|नारी के हम दुत्काइर आ बाइज क अबला बना दई छी,जखन की ओकर कोनो गल्ती नै|
      ई बात त सब जानई छी कि जई नारी के पति गुजैर गेल ओकरा पर आसमान टुट बला विपत्ति पईर गेल |ओई स्थिति मे ई समाज ओई नारी के संतावना देव के बदले ओल सनक बोल कहई छैथ|  ई त भेल लोग,समाज आ परिवारक विचार विधवा के लेल |किछुए घर मे मान -सम्मान भेटईत अई विधवा के|हम एकटा सिनेमा देखने रही प्रेम रोग ओई मे जे विधवा के दुर्दशा देखलौ रौगटा सिहईर गेल |समाज मे मिडिया के असर बेसी परइया|विधवा के देख समाज के त छोडू परिवारो के नियत खराब भ जैत अई |ओकरा (विधवा)अनेको उप नाम डायन ,चुडैल,कुलकलंकनि सन अनेको नाम स पुकारैत छैथ|ई सब दोष के देखैत हमरा हिसाब स विधवा विवाह बहुत जरूरी अई उम्र के हिसाब स| ऑगुर उठेनाइ आसान अई सहयोग केनाई मुस्किल |हमसब मिल क संकल्प करी त काज आसान होयत विधवा के सहयोग कर मे|


        विवाह कम उम्र के विधवा के लेल ,सबमिल क योग्य वर स पुनरविवाह कराबी | दोसर स्थिति,अगर विवाह के १५/२०साल भ गेल छइन आ बच्चा छइन त बच्चो के विचार जरूरी अई|दुनू तैयार विवाह कर मे कोनो हर्ज नै|कारण बच्चा के परवरिश कर मे अनेक तरहक कठिनाई अबई छै जीवन मे||पढाई लिखाई महग तकर बादो अनेक तरहक दिक्कत बच्चा के निक नागरिक बनाब मे|इयाह सब कारणे जीवन साथी के जरूरत |


      तेसर समय ५०स६० अई| अई उम्र मे अगर क्यो विधवा होई छैत त हमर हिसाब स हुनक धिया पुता के पढाई लिखाई ,विवाह दान सब भ जाइ छै|अई अवस्था मे अगर क्यो मनोनुकुल साथी भेटै त कोनो हर्ज नै|ओना अई अवस्था में लोग अध्यात्म स जुडी जाइया |अपन बाल बच्चा कमायो लागई छई|अगर बच्चा माय के भरण पोषण कर के लेल स्वेछा स तैयार छै तखन विवाह जरूरी नई अई|एखुनका अवस्था सबस विचित्र ,सब बेटा अगर लाईक रहितै त बृद्धा आश्रम के की जरूरत |ओहन स्थिति मे नारी स्वतंत्र छइथ अपन खुशी के अनुसार निर्णय लेब के लेल|हुनक जे निर्णय हेतइन से समाज आ परिवार के मान्य हेबाक चाहि|इयाह हमर ईक्छा|


4 टिप्‍पणियां:

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-09-2019) को "रिश्वत है ईमान" (चर्चा अंक- 3451) पर भी होगी।


चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बड़ निक लेखन

विद्या सरन ने कहा…

Very nice blog. Congrats.
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विद्या सरन ने कहा…

Very nice blog. Congrats.
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