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सोमवार, 22 मई 2017

बजरंग - बत्तसी ,मैथिली हनुमान चालीसा से - रेवती रमण झा "रमण "

बजरंग - बत्तसी 
             मैथिली हनुमान चालीसा से -
 ॥ छंद  ॥ 
जय  कपि कल  कष्ट  गरुड़हि   ब्याल- जाल 
केसरीक  नन्दन  दुःख भंजन  त्रिकाल के  । 
पवन  पूत  दूत    राम , सूत शम्भू  हनुमान  
बज्र देह दुष्ट   दलन ,खल  वन  कृषानु के  ॥ 
कृपा  सिन्धु   गुणागार , कपि एही करू  पार 
दीन हीन  हम  मलीन,सुधि लीय आविकय । 
"रमण "दास चरण आश ,एकहि चित बिश्वास 
अक्षय  के काल थाकि  गेलौ  दुःख गाबि कय ॥ 
|| दोहा || 
वंदऊ  शत  सुत  केशरी  
सुनू   अंजनी  के  लाल  | 
विद्द्या बुधि आरोग्य बल 
दय  कय  करू निहाल  || 
||  चौपाई || 
जाहि  पंथ  सिय  कपि तंह  जाऊ  | रघुवर   भक्त    नाथे  हर्षाऊ  ॥ 
यतनहि  धरु  रघुवंशक  लाज  । नञि एही सनक कोनो भल काज ॥ 
श्री   रघुनाथहि   जानकी  ज्ञान ।   मूर्छित  लखन  आई हनुमान  ॥ 
बज्र  देह   दानव  दुख   भंजन  ।  महा   काल   केसरिक    नंदन  ॥ 
जनम  सुकरथ  अंजनी  लाल ।  राम  दूत  कय   देलहुँ   कमाल  ॥ 
रंजित  गात  सिंदूर    सुहावन  ।  कुंचित केस कुन्डल मन भावन ॥ 
गगन  विहारी  मारुति  नंदन  । शत -शत कोटि हमर अभिनंदन ॥ 
बाली   दसानन दुहुँ  चलि गेल । जकर   अहाँ  विजयी  वैह   भेल  ॥ 
लीला अहाँ के अछि अपरम्पार ।  अंजनी    लाल    कर    उद्धार   ॥ 
जय लंका विध्वंश  काल मणि  । छमु अपराध सकल दुर्गुन गनि॥
  यमुन चपल  चित  चारु तरंगे  । जय  हनुमंत  सुमित  सुख गंगे ॥  
हे हनुमान सकल गुण  सागर  ।  उगलि  सूर्य जग कैल उजागर ॥ 
अंजनि  पुत्र  पताल  पुर  गेलौं  । राम   लखन  के  प्राण  बचेलों  ॥ 
पवन   पुत्र  अहाँ  जा  के  लंका । अपन  नाम  के  पिटलों  डंका   ॥ 
यौ  महाबली  बल  कउ  जानल ।  अक्षय कुमारक प्राण निकालल ॥ 
हे  रामेष्ट   काज  वर  कयलों  । राम   लखन  सिय  उर  में लेलौ  ॥ 
फाल्गुन  साख  ज्ञान गुण सार ।  रुद्र    एकादश    कउ  अवतार   ॥ 
हे  पिंगाक्ष सुमित सुख मोदक । तंत्र - मन्त्र  विज्ञान  के  शोधक ॥ 
अमित विक्रम छवि सुरसा जानि । बिकट  लंकिनी  लेल पहचानि ॥ 
उदधि क्रमण गुण शील निधान।अहाँ सनक नञि कियो वुद्धिमान ॥ 
सीता  शोक   विनाशक  गेलहुँ । चिन्ह  मुद्रिका  दुहुँ   दिश  देलहुँ ॥ 
लक्षमण  प्राण  पलटि  देनहार ।  कपि  संजीवनी  लउलों  पहार ॥ 
दश   ग्रीव दपर्हा  ए कपिराज  ।  रामक  आतुरे   कउलों   काज  ॥ 
कपि  एकानन  हयो  पंचानन   जय हनुमंत  जयति  सप्तानन  || 
वर्ण सिन्दूर  देह दुख   मोचन  | दीव्य  दरश लय व्याकुल लोचन || 
गुण  निधान कपि मंगल कारी | दुष्ट दलन  जय - जय  त्रिपुरारी || 
बिनु हनुमंत एता  नञि  राम | बिनु हरि  कृपा  कतय सुखधाम  || 
जतय अहाँ  मंगल तेहि  दुवारि | करुण कथा  कते  कहल पुकारी  || 
  यश जत  गाऊ   वदन संसार  |  कीर्ति  योग्य नञि पवन कुमार  ||  
केशरी कंत  विपति  वर  भार  |  वेगहि  आबि  रमण   करू  पार  ||
प्रभु मन  बसिया  यौ  बजरंगी | कुमतिक  काल  सुमति के संगी  || 
सुनू कपि कखन हरब दुख मोर | बाटे   जोहि   भेलहुँ  हम   थोर  ||  
॥ दोहा ॥  
प्रात काल  उठि जे  जपथि ,सदय धराथि  चित ध्यान । 
शंकट   क्लेश  विघ्न  सकल  , दूर  करथि   हनुमान  ॥ 


 हनुमान जी के आरती  

बजरंगबली   के  आरती 
आइ   उतारू  ध्यान  सँ  | 
नञि  बुझलक दुख  हमर कियो 
जे , आइ  कहबैन   हनुमान सँ  || 
 बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --

टरल बिकट वर - वर  पथ -कंटक 
दया  दृष्टि  जेहि  देलों  यों  | 
रघुनन्दन दुख  भंजन के दुख 
काज सुगम  सँ  कयलौ  यौ  || 
जा पताल  अहिरावण मारल 
बज्र गदा के वान सँ -
 बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
लखनक प्राणे , पलटि  आनि कय 
राम हीया  हुलसइलौ यौ  | 
कालक  गाले  जनक  नंदनी 
लंका जाय  छोरयलौं  यौ  || 
जाहिना  बीसभुज  के निपटयलों 
अपनेही बुधि  बल ज्ञान  सँ || 
 बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
ज्ञान ध्यान रहि , मृत जीवन सन 
संत सुग्रीव नरक ताल में  | 
लंका के ओ  राजा बनि  गेल 
अहाँक दया सं एक पल में || 
"रमणक " काज  सुतारु  ओहिना 
अपन कृपा  वरदान सँ  || 
बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
            रचित - 
रेवती रमण झा "रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

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