dahej mukt mithila

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रविवार, 23 नवंबर 2014

अप्पन हारल ककरा कहबई



कोमल मोन तन्नुक भाव ,
शब्द कठोर , गंभीर घाव |
दोसर सदिखन हंसी ऊडेतई,
मोनक बात जकरा कहबई |
अप्पन हारल ककरा कहबई-
बाज'य कथा सब अपने अपना ,
टूटय बरु आनक सुन्नर सपना  |
फाटल दोसर टांग अड़ाबई ,
एकरे त' सब रगडा कहबई |
अप्पन हारल ककरा कहबई -
भाऊ हिसाबे ,सिनेह देखाबई ,
गिरला उत्तर आँखि चोराबई  |
गेठी दाम नहि महल मोलाबई ,
एकरे दादीक फकरा कहबई  |
अप्पन हारल ककरा कहबई-
कियो पैघ नहि कियो छोट ,
थोड बहुत त' सब में खोट  |
बनि अप्पन जे सुनतइ बात ,
मोनक मीत तकरा कहबई  |
अप्पन हारल ओकरा कहबई  -- 









सादर : महेश झा 'डखरामी '

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