जतवे पुरान अछि नागदह गाम ओतवे पुरान अछि नागदहक पोखड़ि. नागदह आ बलाइन एकेपंचायत में पड़ैत अछि .हालाँकि स्वर्गीय डॉ०सुभद्रा झाक लिखल एक गोट पोथीक संदर्भानुसार बलाइन गाँओक प्राचीन नाम छलैक ‘बएनागढ़’तथा तकर सटल नागदहक रेवेन्यू नाम थिकैक‘मालगढ़’. नागदहक पोखड़िक सम्बन्ध में जेकिछु बुजुर्ग लोकनि सँ ज्ञात अछि ओ प्रायः एहीतरहे अछि:- एही गाँव में कियो दू वा तीन भैयारी रहथि. जखनहुनका लोकनिकेँ आपस में यथा - जात केबंटवारा होमय लागल त दू वा तीन ठाम बाँटलजाय त स्वतः तीन वा चारि ठाम भ जायल करैक.ई क्रम प्रायः कतेको बेर भेल. गामक लोककेँ बड़ाआश्चर्य लगलन्हि जे भाग / कुड़ी जखन दू वा तीनठाम लगैत अछि त एक भाग स्वतः कियाक बढ़ीजाइत अछि.तखन एकगोट विद्वान -वुजुर्ग हाथजोड़ी निहोरा केलाह जे यदि एही में किनको भागअछि जे अदृश्य छि त कृपाक' अपन स्थान परआबि वा प्रकट होय. ई कहला उपरान्त जे भाग बढ़ी जायल करैक ओहि भाग पर फुफकार मारैतनाग सांप साक्षात् विराजमान भय बैस गेलाह. ओहिराईत किनको स्वप्न भेलनि जे हमर भागकभूमि पर पोखड़ि होयबाक चाहि. तैं ओहीभागानुकुल पोखड़ि अछि, मिथिला में सुनैत छि जेकतेको पोखड़ि दैत्यक खूनल अछि एकरो सम्बन्धमें कियो - कियो बजैत छथि परन्तु स्पष्ट नहि. ईपोखड़ि मिथिलाक कतेको विशाल पोखड़ि में सँएक अछि. करीब २० एकड़ जकर खाता नम्बर ३७७ आ खेसरा नम्बर ९९३ ई कहिया केना पंजीकृत भेल से त' सर्वे कार्यालय सँ पता कराय पड़त. ई बात कोन समय के अछि से एखन धरी स्पष्ट रूपे ज्ञात नहि. ओना लोकानुकूल एही घटना के बाद एही गामक नाम नागदह पड़ल. एही मान्यता के आधार मानैत जे ई पूर्ण रूपे नागडीह अछि. वर्तमान में नागदह अछि अर्थात नागक डीह.इ बात सत्य अछि जे एही गाम में नागक संख्या बहुत छल आ अछि हम अपने साक्षात् कतेको दिन नागकेँ जोड़ खेलाइत देखने छी.जेना स्वर्गीय डॉ० सुभद्रा झा अपन एक गोट पुस्तक में लिखने छथि ताहि अनुकूल नागदह नाम सँ पहिने कदाचिद एही गामक नाम मालगढ़ छल. तैं ई कहबा में कनमो मात्र अतिश्योक्ति नहि होयबाक चाही, जे जहियासँ गामक नाम नागदह पड़ल ताहि समयसँ ई पोखड़ी उद्भव अछि. कदाचिद कहीं एहन नै होई जे नागदह गामक उम्र ई पोखड़ी संग जुड़ल हो.
एक महातिचारक अन्त भेला पर शुद्धिक समय विकराल महा अकाल पड़ल छल. सौराठ सभामें आगत ब्राम्हण लोकनकिकें ग्रासक कोनोटा व्यवस्था नहि करबाक परिस्थितिमें महाराज माधवसिंह सदिच्छाक अनुसार प्राप्त स्मरणीय मोदी झा समस्त सभैताक भोजनक व्यवस्था कएल. तथा हुनके इच्छानुसार ओहि साल सभा सौराठ में नहि लगाए नागदहमे पोखड़िक पुवरीआ भीड़ पर लगाओल गेल, इ बात हमरा स्वर्गीय डॉ सुभद्रा झा कहने छलथि.
नागदहक पोखड़ी ओहि परोपट्टा में सबसँ विशालपोखड़ि अछि. सुनैत छी, एही पोखड़ि सँ पैघ'बभनदई' बासोपट्टीक पोखड़ि अछि. नगदहकपोखड़ि के करीब २० वर्ष पहिने चारु कात भीड़छल,परन्तु आजुक समय में प्रायः चारु कात घरआँगन अछि आ विस्तृत भेल जा रहल अछि. एहीपोखड़िक जलक स्रोत दू टा थिक, एक त प्राकृतिकरूपे वर्षा आ दोसर कमला सँ निकलल नहर. ओहिमें आयल बाढ़ि सँ नहरक माध्यम सँ एहीपोखड़िक जलाशय उम-डाम भ जाईत अछि. तदोपरांत बाढ़िक खतरा नागदह पर नहि पड़ैत छैक,गामक आवासीय भागक भूमि उँचस्थ छैक.एकटा समय छल जखन पोखड़िक जलाशय कम भ' जाइत छल , गामक गरीब वर्ग लोकनिथोड़ेक -थोड़ेक पोखरिक जगह छेक ओहि में जीविकाक लेल मडुआ आ समयानुसारे किछु -किछुउपजाबैत छलाह.
बलाइनक मलाह लोकनिकें लेल ई पोखड़िजीविकोपार्जनक प्रमुख माध्यम छलनि. पोखड़िदेखबा में कोनो विशाल महानदीसन बुझना जाइतछल. सालोभरी मलाह लोकनि जाल आमहाजालसँ पोखड़ि सजाऔने रहैत छलाह.कखनोमलेडिया साफ अभियान त कखनो माँछ मारलजयबाक इंतजाम.
भरिदिन गामक बूढ़-बुजुर्ग,युवा, बच्चा पोखड़ि मेंनहाइत आ चुभकैत रहैत छलाह. माल - जाल सेहोपोखरिक शोभा बढ़ाबईत रहैत छल. आइयो धरिगामक विवाह,उपनयन,मुंडन आ शुभकृत्य पोखड़िसँ जुड़ल कर्म एही पोखड़ि सँ होइत अछि. कदाचिद नागदह पोखड़िक उद्भव सँ एखन धरि गामक लोककेँ सम्पूर्ण पोखड़ि सँ सम्बंधित कार्यएही पोखरी सँ पूर्ण होइत आएल अछि.
इ पोखड़ि नागदह लेल सदा शुभ आ शुभाशीष दैतरहैत छथि. ग्राम देवता, स्थान देवता आ नागदेवता सदा अपन एही ग्रामीण पर स्नेह बनेने रहैत छथि. एही पोखरिक दक्षिण-पश्चिम कोन मेंभव्य नागनाथ महादेवक मन्दिर सेहो स्थापितअछि. जकर विधिवत स्थापना १९९८ मेंभेल,यदपि शिवलिंग आ स्थान बहुत पहिने सँओहिठाम छल.
पोखड़िक बर्तमान हालात कहबा सुनबा योग्य नहिअछि. जाहि पोखड़िक देख - भाल कतेको सौ -साल सँ नहि भेल हो तकर हाल कि कहल जा सकैछ ? ई त मात्र सोचलापरान्त मानसिक पटल परआवीगेल होयत. कहियो कोनो सरकार एही पोखड़िकें जीर्णोद्धारक वास्ते डेग नहि उठेलथि. एहनास्थितिमें पोखड़िक गहराई कम भेनाइ त स्वाभाविके थिक. पोखड़ि प्रायः अपन रकवा में ३० % (तीस भाग ) भरि चुकल अछि,आ कतेक शीघ्र भरि जाएत से कहल नहि जा सकैछ, कारनअतिक्रमण बहुत जोर शोर सँ ' रहल अछि. जे लोक जाहि दिशा में छथि ओ ओहि भाग पोखड़िभरनाई शुरू क' चुकल छथि, इ कार्य युद्धस्तर सँ ' रहल अछि. कारन इ पोखरिक गिनती किनको व्यक्तिगत नहि अपितु सरकारी में होइत अछि, तै रोकत के, बाजत के ? इ थिक वर्तमानमें नागदहक पोखड़िक स्थिति.
मिथिला क्षेत्र में बिहार सरकारक उपेक्षा सतत रहल अछि, परन्तु एही दिशा में मिथिलाकविद्वतजनक आँखि प्रायः एखनो धरी बन्न अछि. जौं अपन आँखि नहि फूजल रहत त दोसर सँकि आस ? मिथिलावासी लोकनि सँ आग्रह करैत छी जे अपन धरोहर के बचाबक बास्ते हम सबआगा बढ़ि, नहि त' ओ दिन दूर नहि जखन हमर सभक आदि गुरु बाबा विद्यापतिक लिखितपंक्ति ' पग पग पोखड़ि पान मखान ,सरस बोल मुस्की मुस्कान' भविष्य में झूठ सावित भ'जाएत. कारन जखन पोखड़ि ए नहि त’ मखान कतए सँ ? अस्तु
संजय कुमार झा 'नागदह '
दिनांक : २० /१२/ २०१३
दिल्ली
फोन : ८०१०२१८०२२
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