मिथिला महोत्सव- 2013
मिथिला महोत्सव: प्रथम दिन, मावलंकर हल, नयी दिल्ली, १६ नवंबर, २०१३। दोसर दिन, हिन्दी भवन, नयी दिल्ली, १७ नवंबर, २०१३।
भारतक बहुत रास मैथिलक संस्थामे एक पुरान व प्रसिद्ध, मिथिला लेल समर्पित धरतीपुत्र क. भोगेन्द्र झा एवं समकक्षी ओहदेदार मैथिल व्यक्तित्व द्वारा योजनाबद्ध तरीकासँ मैथिली व मिथिलाक हितसाधन लेल स्थापित संस्था "अखिल भारतीय मिथिला संघ" केर आयोजनमे द्विदिवसीय समारोह "मिथिला महोत्सव" दिल्लीमे आयोजित भेल। भारतीय व नेपालीय मिथिलासँ आमन्त्रित विभिन्न विद्वान्, विचारक, समाजसेवीक सहभागितामे एहि आयोजनकेँ सफलतापूर्वक सम्पन्न कैल गेल। दिल्लीमे प्रवास केनिहार लाखों मैथिलकेँ अपन संस्कृतिक वजनदार होयबाक आ सदिखन आत्मीयता संग एहि लेल समर्पित रहबाक प्रेरणा प्रसारण कैल गेल।
भले आजुक नाच-गानकेर दौरमे मैथिलक विद्वतापूर्ण विचारक आदान-प्रदान हेरायल-भोथियायल बुझाइत हो, लेकिन आयोजककेर सूझबूझ आ समर्पणसँ एहि समारोहकेँ मिथिला संस्कृतिरूपी आत्मा सहित सफलतापूर्वक प्रस्तुत कैल जेबाक नव रिकार्ड बनल। आब जतय-जतय महत्त्वपूर्ण आ सशक्त मैथिलक संगठन कार्यरत अछि, लगभग हरेक जगह एहि विन्दुपर विचारपूर्वक कार्य कैल जाइछ जे समारोहक नामपर मात्र नाच ओ गान वा कोनो विद्वानक नामपर स्मृति नाममात्र आ बाकी सांस्कृतिक कार्यक्रम टा नहि कय ओहिमे मिथिला संपूर्ण संस्कृति आ विशेषरूपसँ बिसरायल जा रहल परंपराकेँ प्रदर्शन मार्फत जीवंत राखल जाय, एहिमे कलकत्ता, दरभंगा, पटना, विराटनगर, जनकपुर, काठमान्डु, गुवाहाटी, जमशेदपुर, बोकारो संग दिल्ली सेहो अग्रस्थानमे देखाइत अछि। हलाँकि दिल्लीमे एकहि टा समारोह अलग-अलग मंच द्वारा कयलासँ ओहि ठामक मुख्यमंत्री तककेँ आयोजक संग अपन विस्मित आश्चर्य प्रकट करय पडलन्हि जे एकहि गो विद्यापतिक स्मृति कतेक ठाम होइछ, फलस्वरूप आयोजक समितिक अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा संकल्प लेलाह जे दिल्लीमे कार्यरत विभिन्न संघ-संस्थाकेँ एक मंचपर आनैत मिथिलाक विभिन्न विभुतिक विशेष स्मृति समारोह हम सब आपसमे बाँटी आ तखन सारगर्भिताक संग मिथिलाक नामपर समारोह करी, एहिसँ हमरा लोकनिक संस्कृतिक रक्षा होयत आ नव पीढीकेँ सेहो अपन संस्कृति संग जुडाव बनत।
जेना कार्यक्रममे पहिल दिन दूइ सत्रमे विभिन्न विषयपर विद्वान् लोकनिक विचार राखल गेल आ अन्तमे विद्यापति सहित मैथिली लोकगीत सबहक मर्मस्पर्शी प्रस्तुति सहरसासँ आयल नन्दजी व हुनकर टीम एवं सुनील पवनजी व टीम द्वारा, मैलोरंग कलाकार द्वारा नृत्य ओ बेगुसरायसँ आयल श्री प्रदीप बिहारीक नेतृत्वमे नाट्य मंडली द्वारा 'जट-जटिन'केर भावपूर्ण प्रस्तुति संग आयोजक समिति द्वारा समस्त सहभागी विद्वान्, विचारक, रंगकर्मी, कवि, समीक्षक व अन्य प्रस्तोताकेँ फूलक गुच्छ, दोपटा सहित समारोह स्मृति ताम्रपत्र सेहो प्रदान कैल गेल। रंगशालाक भीतर यदि गोष्ठीक समागम रहल तँ बाहरमे मिथिलाक विभिन्न क्षेत्रसँ विशेषरूपमे बजाओल गेल कलाकर्मी - मिथिला पेन्टिंग कैल वालपेपर, डिनर टेबल मैट, टेबुल क्लोथ, बेडशीट, आदि; तहिना मिथिलाक विशेष परिकार अदौरी, कुम्हरौरी, मुरौरी, सुखौंत, बिरियाक अलग-अलग बिक्री करैत शहरी जीवनमे गामक जीवनक ५६-भोग स्वाद बाँटल गेल। मुरही-कचरी, खादी-बंडी, पाग, पहिरन सब किछु मिथिलाक स्मृति करबैत विभिन्न काउन्टर द्वारा प्रदर्शनीक संग बिक्री-वितरण कैल गेल।
तहिना दोसर दिनक कार्यक्रममे मैथिली सहित हिन्दीमे सेहो लघु चित्रकथा (टेलीफिल्म), वृत्तचित्र, सिनेमा आदिकेर छानल प्रस्तुति कैल गेल आ विभिन्न विद्वान्, विचारक व समीक्षक सहित सिनेमा उद्योगसँ जुडल निर्देशक, अभिनेता-अभिनेत्री, पटकथा-संवाद लेखक सबहक विचार मार्फत मैथिली सिनेमाक सुन्दर भविष्य निर्माण लेल चिन्तन गोष्ठी कैल गेल। तहिना मिथिलाक स्थापित नाटककार व विद्वान्-विचारक श्री महेन्द्र मलंगिया द्वारा निरूपित मलंगिया आर्ट्सकेर सेहो प्रस्तुति कैल गेल। डा. विरेन्द्र मल्लिक, डा. देवशंकर नवीन, सियाराम सरस, गंगेश गुञ्जन, डा. अजय झा, प्रदीप बिहारी, किसलय कृष्ण, मनोज श्रीपति, अविनाश दास सहित अनेको रास मिथिलाक प्रसिद्ध विभुतिक उपस्थिति आ ऋषि झा सहित समस्त मैलोरंग टीमकेर संयोजन-सहयोगसँ ई कार्यक्रमपर पूर्ण परिचर्चा करबामे हमर स्मृति कमजोर पडि रहल अछि। समस्त पाठकवर्ग सहित मिथिला-मैथिलीक सेवामे जुडल हरेक ओहि पुत्रसँ हमर यैह शुभकामना जे यदि कार्यक्रम करय लागब तँ एक बेर सल्लाह-मशवरा लेल किसलय कृष्ण समान पुत्रकेँ जरुर स्मृतिमे आनि लेब, हुनकर तकनीकी प्रस्तुति आ मंच-संचालन मोन प्रसन्न कय देलक। कतेक नाम सुमिरी, मैथिली व मिथिलामे जे लगैत छथि ओ बड तपस्याक बाद संभव होइत छैक, हम सबकेँ बेर-बेर मानसिक प्रणाम करैत आगामी समयमे फेर जे समारोह सब अछि ताहिपर आयोजक संग सहकार्य-संस्कृति लेल काज करबाक लेल सदिखन तैयार छी। मिथिलाक जयकारा आब एहने समारोह द्वारा संभव छैक, कारण वगैर राजनैतिक संरक्षण मिथिलामे विपन्नताक अनेको रूप देखाइत छैक आ मोन कानिते रहैत छैक, तखन समारोह भले किछु क्षण लेल सही लेकिन आनन्द-परमानन्दक दर्शन धरि करबैत छैक।
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