dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

मिथिला राज्य किऐक?

मिथिला राज्य किऐक?

Pravin Narayan Choudhary


* संवैधानिक अधिकार सम्पन्नता लेल 
* संस्कृति आ सभ्यताक संरक्षण लेल
* विशिष्ट पहिचान 'मैथिल' केर संरक्षण लेल 
* पलायन आ प्रवासक खतरा सँ मिथिलाक रक्षा लेल
* आर्थिक पिछडापण आ उपेक्षा विरुद्ध स्वराज्यसम्पन्न विकास लेल
* स्वरोजगार संयंत्र - उन्नत कृषि - औद्योगिक विकास लेल

* बाढिक स्थायी निदान लेल
* शिक्षाक खसैत स्तर में सुधार लेल
* मुफ्त शिक्षा आ शत-प्रतिशत साक्षरताक लेल
* गरीबी उन्मुलन - हर व्यक्ति लेल रोजी, रोटी आ कपडा लेल
* जातिवादिताक आइग सँ जरि रहल समाजमें सौहार्द्रता लेल
* ऐतिहासिक संपन्नताकेर द्योतक धरोहरकेर संरक्षण लेल

* पर्यटन केन्द्रकेर स्थापना, विकास व संरक्षण लेल
* यात्रा संचार के लचरल पूर्वाधारमें ललित विकास लेल
* जल-स्रोत केर समुचित दोहन लेल
* मिथिला विशेष कृषि उत्पाद केर व्यवसायीकरण लेल
* जल-विद्युत परियोजना - जल संचार परियोजना लेल
* मिथिला विशेष शिक्षा पद्धति (तंत्र ओ कर्मकाण्ड सहित अन्य विधाक) अध्ययन केन्द्र लेल

* पौराणिक मिथिलादेश समान आर्थिक संपन्नता लेल
* पौराणिक न्याय प्रणाली समान उन्नत सामाजिक न्याय व्यवस्था लेल
* जन-प्रतिनिधि द्वारा वचन आ कर्म में ऐक्यता लेल
* भ्रष्ट आ सुस्त-निकम्मा प्रशासन तथा जनविरोधी शोषणके दमन लेल
* लचरल स्वास्थ्य रक्षा पूर्वाधार में नितान्त सुधार लेल
* मुफ्त बिजली, पेयजल, शौच, गंदगी बहाव व्यवस्थापन लेल

स्वराज्य सदैव आमजन हितकारी होइछ। मिथिलाक गरिमा अपन स्वतंत्र अस्तित्व १४म शताब्दीक पूर्वार्द्ध धरि कायम रखलक। बादमें विदेशी शासककेर चंगूलमें फँसैत अपन गरिमासँ क्रमश: दूर भेल। एकर समुचित प्रतिकार लेल भारतीय गणतंत्रक विशालकाय शरीरमें आबो यदि राज्यरूपमें संवैधानिक मान्यता नहि पायत तऽ मिथिलाक सांस्कृतिक मृत्यु ओहिना तय अछि जेना एकर अपन लिपि, भाषा ओ समृद्ध लोक-परंपरा-संस्कृति आदि लोपान्मुख बनि गेल। बिना राजनीतिक संरक्षण आ समुचित प्रतिनिधित्वक प्रत्यक्ष प्रमाण ६५ वर्षक घोर उपेक्षा सोझाँमें अछि। अत: राष्ट्रीयता आ राष्ट्रवादिताक सशक्तीकरण संग-संग क्षेत्रीय संपन्नता आ सभ्यताक संरक्षण लेल मिथिला राज्य बनेनाय परमावश्यक अछि। 

1 टिप्पणी:

Ankur Jain ने कहा…

सुंदर जानकारी पूर्ण प्रस्तुति।।।