मिथिला चालीसा
दोहा
अति आबस्यक जानी के शुनियो मिथिला के वास
बेद पुराण सब बिधि मिलल लिखल भोला लाल दास
पंडित मुर्ख अज्ञानी से मिथिला के ई राज
पाहुनं बन आएला प्रभु जिनकर चर्चा आजू
चोपाई
जय - जय मैथिल सब गुन से आगर |
कर्म बिधान सब गुन छैन आगर सागर | |
जनक नन्दनी गाम कहाबैन |
दूर - दूर से कई जन आबैन | |
देखीं क सीता राम के स्वम्बर |
भेला प्रसन्य लगलैन अतिसब सुन्दर |
पुलकित झा पंचांग से सिखलो ।
बिघन - बाधा से अति शिग्रः निपट्लो । ।
मंत्र उचार केलो सब दिन भोरे ।
ग्रह - गोचर से भेलोहूँ छुट्कोरे । ।
विद्यापति जी के मान बढ़ेलइ न ।
बनी उगाना महादेव जी ऐलन । ।
जय - जय भैरवी गीत सुनाबी ।
सब संकट अपन दूर पराबी । ।
लक्ष्मीस्वर सिंह राजा बन ऐला ।
पुनह मिथिला क स्वर्ग बनेला । ।
भूखे गरीब रहल स ब चंगा ।
सब के ले ल ऐला राज दरिभंगा । ।
बन योगी शंकरा चार्य कहोलैथ ।
अनेको शिव मंठ निर्माण करोलैथ । ।
धर्म चराचर रहल सत धीरा ।
जय - जय करैत आयल संत फकीरा । ।
जन्म लेलैन लक्ष्मीनाथ सहरसा ।
जिनकर दया से भेल अति सुख वर्षा । ।
साधू संत के भेष अपनोलैन ।
फेर गोस्वामी लक्ष्मीनाथ कहोलैन। ।
मंडन मिश्रऱ क शास्त्राथ कहानी ।
जिनकर घर सुगा बजल अमृत बाणी । ।
पत्त्नी धर्म निभेलैन विदुषी ।
जिनकर महिमा गेलेंन तुलशी । ।
आयाची मिसर क गरीबी कहानी ।
जिनकर महिमा सब करैया बखानी । ।
साग खाई पेटक केलनी पालन ।
हिनकर घर जन्मल सरोस्वती के लालन । ।
काली मुर्ख निज बात जब जानी ।
भेला प्रसन्य उचैट भवानी । ।
ज्ञान प्राप्त काली दाश कहोलैथ ।
फेर मिथिला शिक्षा दानी बनलैथ । ।
गन्नू झा के कृत्य जब जानी ।
हँसैत रहैत छैथ सब नर प्राणी । ।
केहन छलैथ ई नर पुरूषा ।
कोना देलखिन दुर्गा जी के धोखा । ।
खाऊ चुरा - दही होऊ अंतर यामी । ।
तिनों लोक में जगह नै पाउता । ।
सोराठ सभा क महिमा न्यारी ।
गेलैन सब राजा और नर - नारी । ।
जनलैथ सब के गोत्र - मूल बिधान ।
फेर करैत सब अपन कन्या दान । ।
अमेरिका लंदन सब घर में सिप्टिंग ।
देखलो सब जगह मिथिला के पेंटिंग । ।
छैट परमेस्वरी के धयान धराबैथ ।
चोठी चन्द्र के हाथ उठाबैथ । ।
जीत वाहन के क था सुनाबैथ ।
फेर मिथिला पाबैन नाम बताबैथ । ।
स्वर संगीत में उदित नारायण ।
मिथिला के ई बिदिती परायण । ।
होयत जगत में हिनकर चर्चा ।
मनोरंजन के ई सुख सरिता । ।
शिक्षा के जखन बात चलैया ।
मिथिला युनिभर्सिटी नाम कहाया । ।
कम्पूटिरिंग या टैपिंग रिपोटर ।
बजैत लिखैत मिथिला शुद्ध अक्षर । ।
है मैथिल मिथिला के कृप्पा निधान ।
रखियो सब कियो संस्कृति के मान । ।
जे सब दिन पाठ करत तन- मन संन ।
भगवती जानकी रक्षा करतेन तन धन सं । ।
हे मिथिला के पूर्वज स्वर्ग निवासी ।
लाज बचायब सब अही के आशी । ।
दोहा
कमला कोषी पैर परे गंगा करैया जयकार
शत्रु सन रखवाला करे सदा हिमालय पाहार
( माँ मैथिल की जय , मिथिला समाज की जय -----------)
( समाप्प्त )
लेखक :-
मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया , (भैरव स्थान)
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४
mo - 9312460150
जगदम्बा ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया , (भैरव स्थान)
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४
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