dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 18 अगस्त 2012

गजल


रमजान आ ईदक शुभ अवसर पर प्रस्तुत कऽ रहल छी एकटा गजल। ऐ गजलक प्रेरणा हम एकटा प्रसिद्ध कव्वाली सँ लेने छी।

मदीनाक मालिक अहाँ ई करा दिअ
करेजा हमर बस मदीना बना दिअ

हमर मोन निश्छल भऽ गमकै धरा पर
कृपा एतबा अपन हमरा पठा दिअ

बनै सगर दुनिया खुशी केर सागर
सभक ठोर एतेक मुस्की बसा दिअ

दया केर बरखा करू ऐ पतित पर
मनुक्खक कते मोल हमरा बता दिअ

दहा जाइ दुनिया सिनेहक नदीमे
अहाँ "ओम" केँ प्रेम-कलमा पढा दिअ
बहरे-मुतकारिब
फऊलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ) - ४ बेर प्रत्येक पाँति मे

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