dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

गजल


कोनो खसैत केँ जे लियै सम्हारि, यैह थीक जिनगी।
डूबैत केँ जौं दियौ पार उतारि, यैह थीक जिनगी।

भाव कोनो हुए मोन मे, शब्द होइत छै संवाहक,
जे बाजै सँ पहिने लेब विचारि, यैह थीक जिनगी।

मान-अपमान दुनू भेंटै छै, इ मायाक थीक लीला,
अन्याय केँ सदिखन दी मोचाडि, यैह थीक जिनगी।

भाँति-भाँति केँ मेघ विचारक मोनक भीतर घूमै,
सुविचार सँ राखू मोन पजारि, यैह थीक जिनगी।

आन दिस अपन काँच अंगुरी कोना उठेतै "ओम",
पहिने लितौं अपना केँ सुधारि, यैह थीक जिनगी।
------------------ वर्ण १९ -----------------

कोई टिप्पणी नहीं: