dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

प्रिये पाठक

      प्रिये  पाठक  

आदर करैत  छी  जन - जन सं ,
प्रिये  पाठक  छी अतिथि  हमर |
हम निर्भर  करैत  छी ओही पर ,                                                                      
जे संतुष्टि  लक्ष्य अछि  हमर |
        आदर करैत छी जन - जन सं ,
         प्रिये  पाठक  छी अतिथि  हमर |

मधुर वचन  जीवनक  श्रेय  अछी ,
प्रेम स्नेह  जग - संसार में |
बोली - वचन  सुख सँ सम्रिध्ह ,
आत्मरक्षा के  अधिकार में |
          आदर करैत छी जन - जन सं ,
          प्रिये  पाठक  छी अतिथि  हमर |

फुरसैतक  कमी  सब के  संग अछी ,
बेश्त  आई          संसार    अछी |
मिथिय्या  जिनगी  छोरी  चलल ,
आस्तित्व  रहस्य   अधिकार में |
          आदर करैत छी जन - जन सं ,
          प्रिये  पाठक  छी अतिथि  हमर |

होर परस्पर आई लागल  ,
आगू बढाइये के प्यास  जागल |
अप्पन  पद  सेवा के खातिर  ,
 जग में आई  अधिकार  भेटल |                           
         आदर करैत छी जन - जन सं ,
          प्रिये  पाठक  छी अतिथि  हमर |

प्रेम - भाव  भाई चारा के संग ,
मानव अहि सँ  प्यासल आई |
एक  - दोसर के  पार लगाऊ ,
जन  - जन से   नारा  हमर  |
          आदर करैत छी जन - जन सं ,
          प्रिये  पाठक  छी अतिथि  हमर |









(मदन  कुमार  ठाकुर  )

1 टिप्पणी:

Prabhat punam ने कहा…

नमक हराम नेता
.by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Sunday, 19 December 2010 at 09:29.





■फैल रही है अराजकता स्वार्थलिप्सा की छाओमे !!
बह रही है खुनकी नदियाँ मधेश की हर गाओमे !!



चल रही है गुन्डागर्दी अपहरण हत्या और फिरौती



की संजाल गदार नेताओ की आडमे !!



उसको तो सताकी कुर्सि और बैंक बैलेन्स चाहिए !!



चाहे देश की जनता जाये भाड्मे !!



लुट गई जनताकी अमन चैन छिन गयी आँखोकी निन्द !!



मधेश आन्दोलन की काम मे !!



सुनी होगयी माँ की गोद, धुल गयी माथेकी सिन्दुर !!



अनाथ हो गये सैकड़ो बचे आमुल परिवर्तनकी नाममे !!



फिर भी न मिल पाया एक जन्मशिधनागरिक अधिकार !!



मधेश मुदों को कायर नेताओ ने बना डाला अपने पैकेट



भरने का राजनीति व्यापार !!



धिकार है तुम मधेसी नेताओ पे,जो भुल गया उन सहिदों का सपना !!



मधेस आन्दोलन को सफल बनाया प्राणआहुति दे के अपना !!



कायर और कतार नेताओ भरले तुझे झोली जितना है भर्ना !!



जब जनता जाग जाएगी एक ऐसा तुफान आयेगा !!



मिट जाएगा तेरा बहुरुपिये और नौटंकीबालि हस्ती !!



डुब जाएगा तेरा गंदी राजनीति की कस्ती !!



फिर कायम होगा अमन चैन और



समृद्ध समाज की एक आदर्श बस्ती !!!!!!!!!!!!!



कविता का रचनाकार :-- प्रभात राय भट्ट
janakpurdham nepal