dahej mukt mithila

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मंगलवार, 30 नवंबर 2010

Mithila ke dharohar Bhairab Baba

स्थापना -
Bhairav Baba  Bhairv sthan 
          https://youtu.be/8d6bAxJOE_g 

 एक समय के  बात  अछि , विश्वामित्र जी  राम - लक्ष्मण  संग जखन  मिथिला  भ्रमण  के लेल जायत छलैथ , विस्वामित्र  जी  दू  दिन  अपन  बोहिन कोशी  के ओहिठाम  रुकल  छलैथ , ओही  समय  में  महादेव के छः महा कल रूप  में से  एगो  भैरव महादेव  के  स्थापना  केलैन , ओही दिन से  भैरव  बाबा के नाम  पूरा  मिथिला  में  प्रशिध्ह भगेलैन ,

  क्षेत्र  हिमालय पाहार के नजदिक रही के कारन , बढ़ी के नगरी  कहल  जायत  अछि , लोग सब के माननाय अछि जे , बेर - बेर  बढ़ी ऐला सं भैरव  बाबा के लिंग मईटिक तर  में  समा गेला ,

भैरव बाबा के जागृत  होय के कहानी  ---

(शिवरात्रि  में  पूजा  करैत  भक्त लोकेन )

 
                                ( मनोकामना पूर्ण भेला के  बाद  बाबा के   दर्शन करैत  भक्त  लोकैन )

कई बरस  बीत गेल , लिंग  के नामो  निसान मिटा  गेलमुद्दा शिव  भोले  संकर के भक्ति से नील गाय माँ के सहारे फेर से भैरव पुनः जागृत  भेला , सब  दिन  संझ भोर  गो माता ,  भैरव  बाबा के लिंग  के ऊपर आबि  के अपन स्तन  के दुध्ह  समर्पित  करैत छली , दृश्य अपन आईखी से  गमक  एक दुटा लोक देखलक , एक कान से दोसर कान सुनते  पूरा इलाका  में  शोर भगेल ,

एतबा में  गनबायर के रजा के सेहो  पता  चली  गेलेन ,  अपन सेना  दल के संग आबी के, ओही  घनघोर  जंगल  में से बाबा  भैरब  के लिंग  के खोदअ  लागला ,. जे अहि  लिंग के लके  हम अपना  ओहिठाम  स्थापना  करव , खोद्त- खोदत साँझ  परी  गेल  , लिंग ही थम से  निक लय के  नाम  नही लेत छल , छोरीक  सब आदमी वापस  चली गेला  कहिके जे हम सब फेर कालिह आबैत  छि ,

अगिला दिन जखन  राजा  एलायथ  त् बता  ओही गामक एगो ब्रिधि  बय्क्ति  ओही    राजा के   बता देलखिन , ओही दिन से ओही राजा के दुवारे भैरब बाबा के मंदिर निर्माण  कार्य  प्रारंभ  भगेल , ओही दिन  से क्षेत्र  बाबा  भैरव  के  नगरी  कहाबाई  लागल , जाकरा सब  भैरव स्थान  के नाम  से  जानैत अछि ,

ओही  दिन से  बाबा भैरव  के प्रागण में  १००० के संखया  में दर्शन यात्री  आबैत  छैथि  और  अपन  मनो कामना  पूर्ण  करैत  छैथि ,जिनका दिन में  समय  नही मिलैत  छैन   ब्यक्ति  संध्या  समय  आरती के आबिके  के अपन  मनोरथ  पूरा करैत  छैथ,

सावन में और  फागुन के शिवरात्रि के दिन  दूर -दूर  से  जल  लके बाबा भैरब  के  समर्पित  करैत  छैथ ,और अपन  जीवन  के सार्थक  बनाबैत  छैथ ,---

बाबा भैरव  के दुवार --
 ( भैरब बाबा के  संध्या  आरती में  लीं  भक्त  लोकइन )
मधुबनी और  झांझरपुर  पथ  के  अर्न्तगत  में स्थापित  अछि , बाबा भैरव  के मंदिर  विदेस्वर  स्थान  से किलो मीटर  उत्तर  और भगवती पुर से १० किलोमीटर  दक्षिण -पुरव , लोहट चीनी मिल से १२ किलो मीटर पुरव , और कमला  नदी से  किलो मीटर  पछिम  में  स्थित  छैथ ,
(बजरंगवली  मंदिर  निर्माण  कल  में )


       बाबा भैरव के नजदीक  बसल  गाम -घर

                      मेहथ , समया  , महिनाथ पुर

पट्टीटोल , कोठिया ,                                                            हेठी ,वाली , नरवार
भराम, नबटोल,नारायण पुर                            रूपाली , जमथैर, लोहाना

                    रैयाम   , कथना मोहन पुर , विहनगर 

(यात्री  शुविधा   लेल  , बैठक स्थल )



         प्रेम से--- बाजु  भैरव  बाबा की  जय


(अपनेक  सब पाठक  गन से  विनम्र   निबेदन  जे  एक  बेर  जरुर  आबी  अहि  तीर्थ  स्थल पर )

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

baba bhairub ke sabse nikatt gaon laxmipur chaii,je apnek miss kai dailek aichh.

MADAN KUMAR THAKUR ने कहा…

Oh hhh thik karait chhi