बुधवार, 7 अगस्त 2019

जय शंकर प्रसाद जी रचित ये पंक्तियां


जय शंकर प्रसाद जी रचित ये पंक्तियां सुषमा जी के व्यक्तिव को सही प्रकार से प्रदर्शित करती हैं......

भावुक मन के शब्द नहीं,
 श्रद्धा के थोड़े पुष्प है ये।
तुम प्रथमा थी,
 तुम अजातशत्रु,
तुम गरिमामय नारी का रूप रही।
तुम मृदु भाषी,
तुम ओजस्वी,
तुम अनुशासित योगी स्वरूप रही।
तुम ममतामय,
तुम करुणामय,
तुम आवश्यक शक्तिस्वरूपा भी।
 तुम क्षमाशील,
 तुम अनासक्त,
 तुम जन-गण आसक्त मां रूपा भी।
बैकुंठ तुम्हारे स्वागत में,
और धरती पे है मौन अहे।
स्वीकार करो मेरा वंदन,
 श्रद्धा के थोड़े पुष्प है ये।------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें