।। आँहा सासुर में रखबै कोना क ।।
धिया नैहर के बहसल ठोर
आहाँ ससुर में रखबै कोना क ।।
बापक फूल बेटी मायक दुलारु
निपलौ ने आँगन पकरलौ ने झाडू
धिया पाकल पडोर
आँहा कोहबर में रहबै कोना क ।।
धिया नैहर..................
छोटके कि बड़के,ने ककरो चिताबी
एमह के ओमहर, लुतरी लगाबी
बोल ननदिक कठोर
बचन सासुक सहबै कोना क ।।
धिया नैहर................
प्राणनाथ प्रियतम के सेवा की करबै
पहिलुक परसि अपन आँगा में धरबै
"रमण" पिपनी पर नोर
छन्नही में बैसबै जना क
धिया नैहर................
रचयिता रेवती रमण झा"रमण"
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