रविवार, 11 फ़रवरी 2018
ई अवला पाबि अनर्थे
||
ई अवला पाबि अनर्थे ? ||
र
भसि ,रभसि अति प्रीत पसारथि
मम
वयसक वीपरीते ।
न
य
न
क नोर अङ्गोरे जारथि
हे
रत
हे
प्यास की सीते ।।
सु
ललित
सु
रति रचल विधि वियर्थहुँ
म
रम कर
म
असमर्थे ।
न
हि सम नय
न
निरेखथि दैबहूँ
ई अवला पावि अनर्थे ?
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें