|| प्रियतम जुनि करू आब विलासे ||
प्रियतम जुनि करु आब विलासे
दीप-शिखा शशि ज्योति मलिन भेल
भानु प्रभा छथि पासे ।। प्रियतम....
संगक सखी अवगत रति भेदहुँ
करत हास्य - परिहासे ।
गत रस गंध अंग सब झामर
अरुणिम अधर उदासे ।। प्रियतम....
सगर रैन चैन चित पल नई
वासर धरु सबकासे ।
पाओल सुखद समागम वेला
की रवि राहु गरासे ।। प्रियतम......
"रमण" सुमन अलि बचन श्रवण करु
नइ पुनि उचित दिलासे ।
तृषित मनोज तृप्त भय लज्जित
भेल चित निरस कपासे ।। प्रियतम....
रचयिता
रेवती रमण झा"रमण"