बुधवार, 18 अक्टूबर 2017

दीयावाती

|| दीयावाती ||

मनुहारी       अति    दिव्य 
सघन  वर  दीपक माला  | 
बाल     वृन्द  बहु  ललित 
चारु    चित चंचल बाला || 
आयल  उतरि  अपवर्ग धरा 
रे, चित   चकित चहुँ ओर  | 
फुल झरी झरि रहल लुभावन  
मन       आनंन्द    विभोर  || 
हुक्का   लोली  बीचे  अड़िपन 
 चमकि  उठल  अच्छी अंगना | 
 मृगनयनी  चहुँ चारु दीया लय 
रून - झुन   बाजल  कंगना || 
सिद्धि  विनायक मंगल दाता  
भक्ति    भाव       स्वीकारु  | 
अन - धन  देवी लक्ष्मी मैया 
"रमणक " दोष  बिसारू || 
लेखक - 
रेवती रमण  झा "रमण" 


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