शनिवार, 8 अगस्त 2015

कविता ने गीत लिखै छी

ने कविता ने गीत लिखै छी।
ने मिठगर ने तीत लिखै छी।।
     सत्य लिखै छी व्यथा लिखै छी।
     अपने अप्पन कथा लिखै छी।।
पुन्य लिखै छी पाप लिखै छी।
मुनि सँ भेटल श्राप लिखै छी।।
       विरह वियोग विलाप लिखै छी।
        शोक दर्द सन्ताप लिखै छी।।
श्रमिक जन्म अभिषाप लिखै छी।
दु:ख प्रारब्धक पाप लिखै छी।।
        जन्म मृत्यु संसार लिखै छी।
        ब्रह्म वेद आधार लिखै छी
स्वर्ग लिखै छी नर्क लिखै छी।
 अप्पन अप्पन तर्क लिखै छी।।
         अर्थ लिखै छी व्यर्थ लिखै छी।
          बेचल कलम अनर्थ लिखै छी।
 राजा के सम्मान लिखै छी।
धनबल के गुणगान लिखै छी।।
        " बक्शी" व्यर्थ प्रतिवाद करै छी।
           हम कोनो अपराध करै छी।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें