गुरुवार, 13 नवंबर 2014


  
नोटः मैथिली साहित्य परिशदक परिसरमे साक्षर दरभंगा द्वारा ओयोजित विद्यापति समोरह 2014 मे हमरा द्वारा पढ़ल गेल कविता।




कहबा ले बेटी कें सीता कहै छी
कोखिये मे मारै छी यौ-2
बेटी बिना कोना बेटा जनम लेत
से नहि सोचै छी यौ-2
बेटी जनम पर छाती पीटै छी
घर मे मातम मनाबै छी
बेटा जनम पर चानन केर लकड़ी-2
षोइरी मे अहां जराबै छी
बेटा कें अहां अपन मनै छी-2
बेटी कें आन बूझै छी यौ 
बेटी बिना कोना बेटा जनम लेत
से नहि सोचै छी यौ-2
बेटी थिक लक्ष्मी, सीता स्वरूपा
बेटी थिकी श्री राधा यौ
बेटी बिनु ई सृश्टि अधूरा-2
स्वंय नारायण आधा यौ-2
तैं जं बुढ़ारी मे ठेस नहि लागय 
बेटी बचाबू यौ-2
बेटी बिना कोना बेटा जनम लेत
से नहि सोचै छी यौ-2

   जनहित में  जारी ---

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