सोमवार, 23 सितंबर 2013

दहेज़ प्रथा

दहेज़ प्रथा   
इस बीमारी का तुम भी
शिकार तो हुई थी
नाना जी के लिए तुम भी
तो भार बनी थी
जरा सोचो तुम
उस समय हाल क्या हुयी थी
नाना नानी का हाल भी
बदहाल तो हुयी थी 
धुप भी यही था
छाव भी यही थी
रास्ते में कंकर भी
अबसे बड़ी थी 
जब आते थे थककर
वो रिश्ता को खोजकर
ना कहते ही आपका
हाल क्या हुई थी 
आप नारी हो
नारी की कीमत तो समझो 
पिताओ की मन की
पीड़ा तो समझो
इस बीमारी को भगाओ माँ
काली तुम बनकर 
मिटादो दहेजो की
लालच को डटकर 
तुम्ही से तो लोगो को
प्रेरणा मिलेगी
दहेज़ की बीमारी
दूर तो भगेगी
बेटी के होने पर
चिंता ना होगी
चारो तरफ
खुशिया ही खुशिया मनेगी 
संजय कुमार झा "नागदह" २५@०५@२०१३ 

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