सोमवार, 5 मार्च 2012
मैथिलि--काव्य: GAJAL
मैथिलि--काव्य: GAJAL
: जोइड़ अपन ह्रदय अहाँ सँ तोइड़ देलहूँ सम्बन्ध जहाँ सँ रहब सदिखन संगे खेलहूँ शपति छोइड़ देलहूँ जखने पड़ल विपति मनक आश हमर मने रहिग...
2 टिप्पणियां:
virendra sharma
8 मार्च 2012 को 3:26 pm बजे
Badhiyaa prastuti .Holi mubarak .
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virendra sharma
8 मार्च 2012 को 3:28 pm बजे
बढ़िया प्रस्तुति . होली मुबारक .रंगों की बरात मुबारक .
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Badhiyaa prastuti .Holi mubarak .
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति . होली मुबारक .रंगों की बरात मुबारक .
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