शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

दिल्ली चलू! दिल्ली चलू!!

    
 २८ सेप्टेम्बर, २०११ - नवरात्राके पहिल दिन - एक एहेन जयन्ती पारब जाहि सँ समस्त मैथिली-मिथिलाके कार्यरत संस्था जिनक उद्देश्य भाषा, संस्कृति एवं समग्र मिथिला भूमि के कल्याण हेतु छन्हि - सभके एक प्लेटफार्मपर जोड़ैत एक एहेन अपूर्व कार्यक्रम दहेज मुक्त मिथिलाके तरफ सँ आयोजन कैल जाय जाहि के माध्यम सँ आब २१वीं शताब्दीमे...ं बेटा आ बेटी एकसमान छथि आ जन्म सँ पहिले कन्या-भ्रूण-हत्याके घोर विरोध स्वरूप दहेजरूपी दानवके अपन परिष्कृत समाजसँ दूर भगाबय लेल एकजूट आह्वान करब - जेकर संवाद नहि सिर्फ मिथिला बल्कि समस्त भारत, नेपाल, भूटान संग विश्व समुदायमें शंखध्वनि जेतैक आ लोकलज्जाके रक्षा करैत बहुतो मिथिलाके संतान एवं समग्र जनमानसमें एहि कुप्रथाके अन्त करैक स्फूरणा जगतैक।

स्थान के निर्धारण अबैवाला समयमें - जुलाई के आखिरी तक करब।

कार्यक्रमके प्रारूप:

१. मिथिला झांकी प्रदर्शनी - नगर परिक्रमा संग शुरु करैत मैथिली वा मिथिला संग जुड़ल दिल्लीमें जे कोनो प्रतीकात्मक चिह्न अछि ताहि ठाम वा एक विद्यापति के मूर्ति अनावरण करैक योजना ऊपर सेहो निर्णय करैत हुनकहि प्रतिमाके माल्यार्पण करैत कार्यक्रमके उद्‍घोष-उद्‍घाटन करब। चूँकि दिल्लीमें विद्यापतिक एहेन कोनो प्रतिमा पहिले सँ स्थापित अछि वा नहि से हमरा जानकारी नहि अछि, ताहिलेल अपने लोकनि जे दिल्ली सँ छी से एहि विन्दुपर मन्थन करैत निर्णय करी से आग्रह।

२. मिथिला खानपान स्टॅल के उद्‍घाटन जाहिठाम मिथिलाके विशिष्ट परिकार - व्यञ्जन आदिके खूबसूरत प्रदर्शनी संग सहभागी समस्त मिथिलावासीके लेल एक विशेष उत्सवके अवसर। एहिलेल खानपान सामग्रीके प्रबन्ध सेहो कोनो मैथिल द्वारा होइक चाही। एहेन स्टॅलमें आयोजक द्वारा न्यूनतम सामग्री प्रायोजित होइक आ तेकर बाद व्यवसायिक दृष्टिकोण सँ सहभागिताके संभावित संख्याके अनुसार निजी व्यवसायीके ठेका देल जाय।

३. बाल-बालिकाके कला प्रस्तुति - बाल्य नाटक, नृत्य, चित्रकला (मिथिला पेन्टिंग), मिथिलालिपि लिखनिहार बच्चाके प्रोत्साहन आ एहेन अनेक विन्दु जे केवल आ केवल बच्चा सभमें मैथिलीप्रति झुकावके बरकरार राखैक।

४. विचार गोष्ठी - विद्वान्‌ विचारक, समाज सेवी, नेतृत्वकर्ता, मिथिला आइकान, प्रवासी मिथिलावासी एवं अन्य के समूचा भारत-नेपाल एवं संभव होय तऽ अन्य देश सँ सेहो सहभागी बनबैत दहेज एवं किछु अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दा जाहिमें मिथिलामें पर्यटनके विकास - मिथिलावासी स्वयं नव-मिथिलाके निर्माणकर्ता आदि राखल जाय।

५. सांस्कृतिक कार्यक्रम - नृत्य, संगीत, नाटक, आदि। समूचा दिल्लीके कलाकार जे मैथिली संग जुड़ल छथि आ तदोपरान्त आवश्यकता अनुसार बाहर सऽ कलाकार के सहभागिता कराओल जाय।

६. दिल्ली सम्मेलनके सारांश - दिल्ली उद्‍घोषणा पत्र के प्रकाशन आ कार्यक्रम समापन।

उपरोक्त प्रारूप ऊपर अपन टिप्पणी आ सुधारके लेल सुझाव लेल प्रार्थना।

प्रार्थी - प्रवीण

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