शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

एक पत्र मिथिलाके विद्वान्‌के नाम




आदरणीय शिवनाथ सर,-------

बहुत प्रसन्नता भेटल अपनेक फेशबुक पड़का प्रोफाइल देखि के!! अपनेक पुस्तक के माध्यम से आन्दोलनके बात पढला सऽ आरो जिज्ञासा जागल कि देखी एहेन महान्‌ शख्स जिनक आत्मविश्वास एतेक सार्थक कि पुस्तक सऽ आन्दोलन के बात करैत छथि... माँ सरस्वतीके कृपा अपने ऊपर बनल रहैन आ अपने अपन सोच आ अन्दाज दुनूमें कामयाब होइ इ प्रार्थना।
संगहि, हमरा लोकनि किछु युवा हालहि किछु मास पहिने सँ फेशबुकके पेजपर सऽ एक अति प्राचिन परंपरा जे आइ-काल्हि एकदम वीभत्स रूपमें मिथिला समाजके दीमक जेकां चटने जा रहल छैक - मिथिलामें सेहो आब सीताके जन्म लेबय सऽ पहिने ओहि धरामें दबाओल जा रहल छैक जेकर प्रभाव सऽ जनसंख्या २०११ प्रमाण स्वरूप कहि रहल अछि जे स्त्रीके संख्यामें घटाव भऽ रहल अछि। एकर प्रभाव एतबी हमरा अहाँ पर हावी अछि जे लोक अपन बेटीके पढाबैक इच्छा रखितो ओकर पढाई पर खर्च कम आ ओकरा नामके बैंक बैलेन्स बेसी बनाबैत छथि जाहि सँ विवाह कोनो नीक घरमें कराओल जा सकैक...! कतेक अनैतिक बात छैक - देखू, किछु गार्जियन बेटा आ बेटीमें कोनो फर्क बिना केने नीक सऽ नीक खर्च करैत बेटीके सेहो उच्चाधिकारी तक बनाबैत छथि, मुदा आब हिनक बेटीके लायक एक तऽ लड़का के कमी, दोसर जे यदि कोनो लड़का उच्चाधिकारी लड़की लायक भेटबो केलखिन तऽ आब ओहि त्यागी बापके लेल जे केओ जमाय बनथिन ओ व्यवस्थामें कतेक दहेज गनबेथिन आ ओ व्यवस्थाके कतय सऽ ओ बाप चुकेथिन... :(... तखन आब कि हेतैक... मजबूरीमें ओ उच्च शिक्षित बेटी अपन चुनाव स्वयं करती आ मिथिलाके बाहरो के लड़का बेसी संभव चुनि सकैत छथि जे पुनः मिथिलाके गरिमा के लेल एक चुनौती ठाड़्ह करत। हलांकि सीताजी सेहो राम संग वरण केलीह, लेकिन आबके सीता कतय ठहरती, मिथिलाके सम्मान सीताजी तऽ एहेन बना देलीह जे हमरा लोकनि गर्व करैत छी कि हुनकहि धरतीपर जन्म भेल... मुदा आजुक सीता तऽ शहर के मुँह देखिते देरी मैथिली तक बिसरि जैत छथि... कतेक दुःखद स्थिति छैक सर? सर! हमरा लोकनि आब केवल पुरनका सम्मानके भजा रहल छी, नव में हमर सभके अबस्था एहेन दरिद्री सऽ भरल रहत... कि इ नीक बात? सोची! अपने लोकनि एहि समाज के अग्रगामी निकास देनिहार व्यक्तित्व सभ थिकहुँ। यदि नहि किछु करब तऽ दोषी बनब। सभ संग किनारा कैल जा सकैछ, मुदा अपन आत्माके ज्ञान सदिखन हमरा लोकनिके कोसत।
सर! आब एहेन समय आबि गेलैक जे अपने लोकनि मिथिलाके राम मनोहर राय बनि एहि दहेजके दानव जे ताण्डव कय रहल अछि एकरा भगाउ आ ओ सुन्दर सौराठके परिकल्पना के पुनः जीवित करू। सौराठ एक नहि अनेक होइक आ मैथिल पुनः अपन गरिमाके रक्षार्थ एक बेर क्रान्ति के बिगूल बजाबैथ। हमर आग्रह!
दिल्लीमें एक कार्यक्रम रखने छी, २८ सेप्टेम्बर के! अपने दहेज मुक्त मिथिला नामक ग्रुप पर यदि नहि होइ तऽ आबी आ किछु समय हमरो लोकनिके पथ-प्रदर्शन करी, सेहो आग्रह!
अपनेक शुभेच्छूक,
प्रवीण चौधरी
कार्यकर्ता, दहेज मुक्त मिथिला

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