शुक्रवार, 25 मार्च 2011

वक्त्त नञि – मदन कुमार ठाकुर


सबटा ख़ुशी अछि दमन पर ,
ऐगो हशी के लेल वक्त्त नहीं

दिन – राएत दोरते -दोरते दुनिया में ,
जिनगी के लेल वक्त्त नही |

माय के लोरी के एहाशास त् छैन ,
मुद्दा माय कहैय के लेल वक्त्त नहीं
सब रिश्ता के त छोरी गेला ,
मुद्दा अंतिम संस्कार करैय लेल हुनका वक्त्त नहीं |

सबटा नाम मोबाईल में छैन ,
मुद्दा दोस्तों से बात करैय वक्त्त नहीं
मन मर्जी व फर्जी के की बात करी ,
जिनका अपनोहु लेल वक्त्त नहीं |

अखियों में बसल त् नींद बहुत ,
मुद्दा नींद से आराम करैय लेल वक्त्त नहीं
दिल अछि गमो से भरल ,
मुद्दा कानैय के लेल वक्त्त नहीं |

टका – पैसा के दौर में एहन दौरी ,
की मुरीयो के तकय लेल वक्त्त नहीं
जे गेला हुनकर की कदर करी ,
जखन अपनही सपनों के लेल वक्त्त नहीं |

आब अहि बताऊ हे जिनगी ,
अहि जिनगी के लके की हेतय
की ? हरदम जिनगी से मरेय बाला ,
जिबैय के लेल अछि वक्त्त नहीं ?

 
अपनेक सब के अहि ब्लॉग  में स्वागत  अछि



मदन कुमार ठाकुर
कोठिया , पट्टीटोल,
 भैरब स्थान , झंझारपुर , मधुबनी
 , बिहार , ८४७४०४


मो 9312460150

1 टिप्पणी:

  1. bahut nik apnek ee lekh ajuk samay me ke ahibat ke bujhait achhi aike jug me bas rupiya ,paisa hebak chahi , samay anusare bahut nik

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