शुक्रवार, 25 मार्च 2011

Abhay Kant Jha Deepraaj ke hindi Ghazal -

                          ग़ज़ल

हो   सकता  है  बात   हो   तेरी   या   मेरे  अफ़साने  होंगे |
मेरी  नज़रों  में  भी  शायद  कुछ   शम्मा - परवाने   होंगे ||

गैर अगर तुम मुझको समझो तो ये भी एक पागलपन है,
क्योंकि  मेरी  नज्मों  में  कुछ,   तेरे   भी   नजराने  होंगे ||

कहाँ ज़ुल्म है ?  मेरे  दिल  ने,  प्यार अगर माँगा तुझसे,
मुमकिन है कल एक बनें वो ,जो कल तक अनजाने  होंगे ||

अगर  रौशनी  की  हसरत  है,   इतना  तो करना ही होगा ,
नहीं   चिरागां  फिर  भी  राहों  में कुछ  दीप  जलाने  होंगे ||

खिजां  यहाँ जो कर गुजरी  है,  उन ज़ुल्मों का ये ही हल है,
चमन  खिला  कर  इन  राहों  में, हमको फूल सजाने होंगे ||


                                       रचनाकार - अभय दीपराज

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