शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

अभय कान्त झा दीपराज कृत - प्रार्थना

                        प्रार्थना


मैं   विवेक  के  गंगा  जल से,  सारे जग  का  मल  धोऊँ |
हे प्रभु  मुझको  शक्ति  दे, मैं जग का स्वर्णिम कल होऊँ ||

प्रभु ,  मेरे  इस  तन  और मन से,  सारे  पाप  हटा दे  तू |
और  राहों  से  अन्धकार  को बनकर ज्योति मिटा दे  तू ||
जिस जग ने  रचना  की मेरी,  उस  पर  न्योछावर   होऊँ |
हे प्रभु मुझको शक्ति दे, मैं जगका  स्वर्णिम  कल होऊँ ||१  

बनूँ  पुण्य  का  प्रहरी  और  इस जग से पाप मिटा दूँ मैं |
दीनों  और   दुखियों   के   आँसू , पर  सर्वस्व लुटा दूँ मैं ||
दानवता  को  थर्रा   दूँ   मैं,   जब   जागूँ ,  चंचल  होऊँ |
मैं  विवेक  के  गंगाजल से, सारे  जग   का  मल  धोऊँ || २

प्रभु  मुझको  बल बुद्धि धैर्य का तू  अनुपम  सागर  कर दे |
पी  सकूँ   हलाहल  और  अमृत  उगलूँ  ऐसी गागर कर दे||
अभिमान नहो कुछ पाने का, हो गौरव जब खुदको खोऊँ|| 
हे  प्रभु  मुझको  शक्ति  दे, मैं जगका स्वर्णिम  कल होऊँ || ३||

दानवता को जीत सकूँ  मैं,  मानवता  का  मान  बढ़ा कर|
जग  को  मैं  आदर्श  बना  दूँ , सिद्धांतों का पाठ पढ़ा कर ||  
लक्ष्य न जबतक पालूँ अपना, थक कर कभी न मैंसोऊँ |
हे प्रभु  मुझको  शक्ति  दे, मैं जग का स्वर्णिम कल होऊँ|| ४||

चक्र मुझे प्रभु  दे अपना  तू ,  बस  कर  इस  अंतर्मन  में |
धर्म, न्याय,  सुख की वर्षा मैं कर दूँ  जग  के  आँगन  में||
फसल,  शांति  और  समृद्धि  की  प्रभु,  सारे जग में बोऊँ |
हे प्रभु  मुझको शक्ति दे, मैं जग का स्वर्णिम  कल होऊँ||५

मैं  विवेक  के  गंगा  जल से,  सारे जग  का  मल  धोऊँ |
हे  प्रभु  मुझको शक्ति  दे, मैं जग का स्वर्णिम कल होऊँ||
 
                रचनाकार - अभय दीपराज 


2 टिप्‍पणियां:

  1. मैं विवेक के गंगा जल से, सारे जग का मल धोऊँ |
    हे प्रभु मुझको शक्ति दे, मैं जग का स्वर्णिम कल होऊँ
    wah.bahut sunder prarthna hai.

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  2. Yah prarthanaa yadi pooree duniyaa aik swar mein gaane lage to ye duniyaa swarg se bhee sunder ban jaaye. Chetan...

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