बसंतक आगमन भेल अछी,
धानक सीस जेना आमक मज्जर ,
फगुआ सेहो लकचियागेल ,
हम त कहब !!!
अहि बेर छुट्टी मैं गाम आबी जाऊ ,
दालान पर कोटपिस आ २८ खेलब ,
आ संगे मालदह आ किसुन्भोग क स्वाद ,
सहर मैं त कारबिदेक गंद सुन संतोस कर परत ,
आ बिसेस इ जे !!!!!!
कनिया काकी बाट तकैत तकैत नोरा गेली ,
तैं गाम आबी जाऊ !!!!!!!
***स स्नेह .....विकाश झा ***
bahut kam shabd me bahut kich yad kara delo
जवाब देंहटाएंdhanywad