रविवार, 31 मार्च 2024

राजा सलहेस फिल्म देखल। मोन तिरपित भेल जे मैथिली फिल्म देशक श्रेष्ठतम सिनेमाघर मे बैसि क देख रहल छी।, पवन झा - (काश्यप कमल )

    राजा सलहेस फिल्म देखल। मोन तिरपित भेल जे मैथिली फिल्म देशक श्रेष्ठतम सिनेमाघर मे बैसि क देख रहल छी। एकटा आम मैथिल होइक अनुभव स अति उत्साहित भेनाय उचिते।   Santosh Badal जी  जेका निर्देशक, भाई Ajit Azad  सन लेखक आ डॉ सी एम झा सनक निर्माता। डॉ सी एम झा जीक अहि दल के काज के साधुवाद दैत आभार व्यक्त करी। कारण हमरा नजरि मे - राजा सलहेस फिल्म केवल मैथिली फिल्मक मार्केट के बनेबाक लेल नहि, अपितु मिथिलाक अमूर्त परंपरा के जनमानस के पुनर्स्थापित करबाक प्रायास सेहो छी। तें सब मैथिल स आग्रह कम स कम अपन बच्चा सबके अवश्य इ फिल्म देखाबी। अहि फिल्म्क माध्यम स अपन परंपरा स परिचय करवा सकैत छी। 

दू - दृष्टिकोण स अहि फिल्म पर बात करय चाहब:  

पहिल - एकटा आम मैथिल हेबाक दृष्टि : 20-22 वर्ष स प्रवास मे रहैत, अपन माटिक गप दिल्लीक मल्टीप्लेक्स मे बैसि क गुनैत काल, संवेदनाक एकटा धार बहि आत्मिक व्यग्रता के तृप्त क रहल हो, आ अहि तृप्तिक आनंद मे आत्मा स निकलल आशीर्वचन आ शुभकामना, सलहेसक समूचा दल के लेल प्रेषित भ रहल हो। हमरा नजरि मे राजा सलहेस मात्र जाति विशेषक कूल देवता वा लोक देवता नहि, वरन मिथिलाक सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतिनिधित्वकर्ता आ प्राचीन मिथिला समाजक सब स’ पैघ सामाजिक-सांस्कृतिक अभियंता। तें व्यक्तिगत हम दुगुना लाभान्वित भ रहल छलहु। एक त’ मैथिली फिल्म, सेहो मल्टीप्लेक्स मे आ दोसर “राजा सलहेस” सन विषय। दुनू बिन्दु स अलब्धक लाभ सन... 

दोसर - राजा सलहेस फिल्म के निर्माण आ कथानक पर बात - फिल्म मे तकनीकी के बेहतर प्रयोग भेल अछि। अहि फिल्म मे आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल दृश्य के आकर्षक आ दृश्य सुलभ बनेलक। लागल जेना वॉलीवूड के कोनो फिल्म देख रहल होइ आ मैथिली फिल्म के अहि बराबर ठाढ़, के अनुभव गौरवान्वित करैत रहल। एफेक्ट सब बेहतर।

किछु बात जे खटकल – राजा सलहेस के कहानी खास क लोककंठ मे जे छैक, जतबा छैक, सबके एक फिल्म मे समेटनाय दुर्लभ। कारण फिल्म के समय आ संसाधन के अपन सीमा रहैत छैक। मुदा जखन राजा सलहेस के बात होई त हमरा हिसाब स समग्रता के बेसी स बेसी समेटबाक चाही, चाहे सांकेतिक रूपे मे सही। क्लाइमेक्स मे लागल जेना - एकटा पैघ कालांतर के बाद चारू मालिन बहिन के अंत देखेबाक लक्ष्य छल। मुदा अंत तक जाइ स पहिले राज पकरिया मे चंद्रावती-राजा कुलेसर-चुहरमल-सलहेस आदि प्रकरण के कनेक छूल अवश्य गेल अछि मुदा आर गहींर जेबाक दरकार बुझाना गेल। मोकामा के कतहु चर्च नहि। सलहेस आ चुहरमल के संघर्षक चर्चा सेहो नहि। चंद्रावतीक चरित्र चित्रण मे सेहो किछु मिसींग जेकाँ। एतेक मानि सकैत छी जे ऐतिहासिक संदर्भ वा आर कोनो बाध्यता रहल हो मुदा राजा सलहेस ‘लोक’ के विषय छी, तें ऐतिहासिक प्रामाणिकता स बेसी लोकाचार आ लोकमान्यता के प्रमुखता देनाय बेसी उचित।


राजा सलहेस माने देवता, राजा सलहेस माने शक्तिमान, राजा सलहेस माने अपन भक्त के सब मनोकामना पूरा करय वला...... आदि, आदि,। हाई स्कूल मे एकटा खिस्सा पढ़ने रही – “भूलते भागते क्षण”। अहि खिस्सा मे राजाक परिकल्पना दू टा बच्चा करैत छैक। ठीक ओहिना मिथिलाक समाज मे राजा सलहेस के प्रति आस्था  छैक। राजा सलहेस के समाजक उद्धारक,  महान आ भगवान बनैक, समय के संग क्रम स’ जे आ जतबा द्वंद आ संघर्ष हेबाक चाही तकर त्रुटि लागल। राजा बनलाक बाद सलहेस जखन लगभग मृतावस्था मे एकटा बूढ़ के छाती दबा क’ जिया दैत छथि त लोक हुनका जीवनदाता वा मरल के जीवन दै वला भगवान, मानि लैत अछि से कनेक हल्लूक प्रयोग बुझना गेल। कुल मिला क’ राजा सलहेस के कैरेक्टर डेवलपमेंट मे आर बेसी नाटकीयता के आर बेसी विराटताक आवश्यकता बुझाना गेल। अहि मे राजाजी मे दैविक अंश (जेना लोक मान्यता छैक) ताही तरहक किछु मिथ्य के सहारा लेल जा सकैछ। 

कुल मिलाक’ राजा सलहेस मैथिलीक नीक फिल्म मे स एक अवश्य अछि आ समस्त मिथिला वासी स आग्रह जे एक बेर अवश्य देखी। जेना घरक काज, व्यक्तिगत काजक लेल समय निकालि लैत छी हम सब, ताहिना सामाजिक ज़िम्मेदारी बुझैत, राजा सलहेस फिल्मक लेल एक दिन समय निकालि सपरिवार अहि फिल्म के देखी।  

 सोजन्य सन - पवन झा  (काश्यप कमल)

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