सोमवार, 30 जनवरी 2023

रचनाकार - श्री बद्रीनाथ राय जी

 


गे बहिना वर हमर बड़ बुरिबक आऔर बकलेल छै,
सासुर सेन्टर जेल छै ना
देवर चारू काच कुमार,ससुरक साप  सनक फुफकार।
ननदी नाक कटाक' नङटिनीया सन भेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल छै ना...
बर्तन मजिते देह खियाएल,साउसक बातो बेस पिजाएल।
धनि ओ जुन्ना सन के ऐठलि आऔर विष वेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल ..  ..............
घर  मे डर लगइए भारी,लागल नञि छै फटक  केबारी।
सबटा दूष्ट दहेजक कारण गड़बर भेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल छै ना... . . .......
ससुरक जेठ भाइ  मुहझौसा, फूलल बेङ सनक अछि ढौसा।
अगुआ आगि लगाक' सारा मे सूति गेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल  ........    . ..............|
मरए वरक बाप जे लोभी,ओ छथि देवक वेद विरोधी।
स्रष्टा सृष्टी केलनि गड़बर आऔर बेमेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल छै ना... ............।

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