सोमवार, 14 दिसंबर 2020

अंगना लागै चान सन

  !! 

  जागल जन जन लहरि उमंगक

  मंद  मधुर  मुस्कान  सन ।

  चकमक चकमक दीप जरैया

  अंगना  लागै  चान  सन ।।

  अडिपन ऊपर कलश अछि साजल

  तेहिपर  चौमुख  बाती ।

  सभतरि  पसरल  दीप  कतारहि

  दिव्य ज्योति केर पाँति ।।

  कुसुम लता चहुँ साजल अनुपम

  मधु मकरंद बगान सन ।। जागल.......

 शतदल ऊपर सुशोभित देखू

 स्वर्ण कलश लय माता ।

 दुःख  दारिद्रक  हारिन  मैया

 सबहक  भाग्य  विधाता ।।

 पेड़ा पान प्रसाद पात पर

 सजल पुष्प परिधानक सन ।। जागल...

 "रमण" शरण गहि माँगि रहल अछि

  भक्त नै अपन बिसारू ।

 एक  दृष्टि  दय  ताकू  एम्हरो

 हमरो  जग  सँ  तारू ।।


  अंधकार जीवन मे जागृत

  कलर व करू विहान सन ।। जागल.....


  गीतकार - रेवती रमण झा "रमण"

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