सोमवार, 18 मई 2020

मिथिला का विकास गौरव कहलाए



!! मिथिला का विकास गौरव कहलाए !!

 शब्द मिले तो गीत बन जाए
 हो कृपा शारदे विकास हो जाए ।
 स्वर धारा का हर गीत आलौकिक
 मधुर रस धार में जीवन बह जाए ।।

 मधुर स्वर सुन तृष्णा मिटजाए
 घुलकर हृदय में अलख जगाए ।
 गगन में रहकर माटी में समर्पित
 इत्र बनकर जो गुलशन महकाए ।।

 शब्द मिले तो गीत बन जाए
 हो कृपा शारदे विकास हो जाए ।।

 अथक परिश्रम से राह खुद बनाए
  पथ पर सफलता के पुष्प खिलाए ।
  सहनशीलता  दर्पण  अंतर्मन की
  मिथिला का विकास गौरव कहलाए ।।

  शब्द मिले तो गीत बन जाए
  हो कृपा शारदे विकास हो जाए ।।

  रचना-
  निशान्त झा "बटोही"

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