रविवार, 5 अप्रैल 2020

छोड़ि के अपन गाम यौ ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"

।। मिथिला वर्णन ।।


जहिया सँ हम एलौं मीता, छोड़ि के अपन गाम यौ ।
रहि-रहि कअ मोन पड़ैय, पावन मिथिला धाम यौ ।।
               जहिया सँ हम एलौं...................।।
जेहि धरती पर बीतल बचपन, छै वो स्वर्ग समान यौ।
दुलकि-दुलकि के मारी ठेहुनिया,मायक मुख मुस्कान यौ।
धूल धूसरित तन कोरा लए,बाबा चुमैत मुँह कान यौ ।।
रहि-रहि कअ मोन पड़ैय,पावन मिथिला धाम यौ  ।
               जहिया सँ हम एलौं.................।।
छुटल बाग बगैचा सँगमें , कलकतिया मालदह आम यौ।
मिठगर-मिठगर जामुन महुआ, सोहरल गाछ लताम यौ ।
अखरा नून सँग टिकुला मीता, बैस बाग  मचान यौ ।।
रहि रहि कअ मोन पड़ैय, पावन  मिथिला धाम यौ ।
               जहिया सँ हम एलौं मीता............।।
लुक्का छिप्पी चोरा नूक्की , खेलै छलियै  खेल यौ ।
मचै  हुड़दंग  मितक सँग , अापस में  छल मेल यौ ।
बूढबा  बाबा  छड़ी घुमाबैथ, दौड़ी सगरो दलान यौ ।
रहि रहि कअ मोन पड़ैय, पावन मिथिला धाम यौ ।
                जहिया सँ हम एलौं मीता.............।।
घर-घर ललना पहिर के गहना , गाबै हिलमिल गान यौ।
सोहर , झुमर, लगनी, झरनी , बटगवनी केर तान यौ ।
मधुरी बोली चानन टीका, " माधव" मुख में पान यौ  ।
रहि रहि कअ  मोन पड़ैय, पावन मिथिला धाम यौ ।।
               जहिया सँ हम एलौं मीता............।। 
-     
   ------दिनेश कुमार झा " माधव "
       सझुआर,बेनीपुर,दरभंगा ,मिथिला .
                8369384585

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