मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

सजा भेंटल केहन ।। गीतकार - निशान्त झा "रमण"

                     सजा भेटल केहन प्रीतक
                                      

शेर
तोरि कय दिल हमर आहाँ 
   ककरौ  दिल स नई खेलब    
 ऐ निहोरा  अइ हमर एतबे  
ई  प्रेम के बदनाम नै करब


सजा भेंटल केहन हयै प्रियतम
जे हम बात नै जानि रहल छि ।
लुटा कय अपन चैन - सुख हम
  बाट ककर हम जोहि रहल छि ।।
                              सजा भेंटल केहन .....
बनिकय निष्ठुर हमर दिल दुखयलौ
  मोन  जानि  सकल नञि  कथा के ।
भेल  व्याकुल  आहाँ   के  जतन में
 घुरि   ताकू   यै   हमर  व्यथा  के  ।।

                            सजा भेंटल केहन....
कहू   जाकय   कहब  केकरा   सं
एहि विरह में हम कोना जिबैछि ।
साँस  धक्  धक्  हृदय में चलैया
घूँट नोरक सतत हम पीबै छी ।।
                          सजा भेंटल केहन.....

गीतकार
निशान्त झा "रमण"
        

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