बुधवार, 5 दिसंबर 2018

अश्रुपात ।। खाके दूध की कसम ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                              ।। अश्रुपात ।।
                       " खाके दूध की कसम "
                                      
माँ तेरी दुर्दशा का है आज मुझको गम ।
मै बचन देरहा हूँ खाके दूध की कसम ।।

कही जली,तो कही अरी जलाई जा रही ।
जो असह यातनाओ से सताई जा रही ।।

तू नीलाम हो रही है  सरेआम बोल कर ।
  कैसी घिनौंनी बाते लिखूँ आज खोलकर ।।

कोठे पर खड़ी इन्तजार कर रही है वो ।
 दौलत के हाथ जिस्म यहाँ धररही है वो ।।

 रे ! दो साल की अबोध बालिकाएँ लूट गई ।
 यहाँ खिलने से पहले  जो कली टूट गई ।।

हैरान  हूँ  मै  आज  ऐसी  बात  सोचकर ।
 हैवान बाप बेटी का जहाँ जिस्म नोच कर ।।

हवस पूर्ति कर रहा रे आज वो पिशाच ।
 पवित्र भूमि भारत पर विभत्स नंगा नाच ।।

रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"


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