शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार- रेवती रमण झा "रमण"

                       || रमण दोहावली ||
                                     

1. मरद  बरद  अरु  फावरा , फलिहे  घर  से दूर ।
"रमण" जो मर्दा घर घुसा , विपदा घुसे जरूर ।।

2. सुता  जायेगी  पर  घर ,  सुत से चलिहे वंश ।
कहे  "रमण"  सच नाहि रे , सदा रहूँ निरवंश ।।

   3. रोवे तिरिया सुत सगा , कछु घर कछु शमशान ।
 "रमण" मरैया जो  मुआ , जना  पलट के प्राण ।।

  4. मंत्री    जेहि    घर   तिरिया , नामर्दा   भरतार ।
 "रमण"   तो   राम  भरोसे , सदा  चले   घर द्वार ।।

 5. कोई  बड़ाई न करे , "रमण"  जिया सौ साल ।
 अल्पहुँ  जीवन काल में , करतब किया  कमाल ।।

6. परदादा   दादा  मुआ , मुआ   अरे  अब  बाप ।
"रमण"  बारी  अब  तेरी  ,  धोले  अपना  पाप ।।

7. मालिक जहाँ का एक है  , बसे कोटि मजदूर ।
 "रमण" तुम्हारे पास वो  ,  लगा तुझे क्यो दूर ।।

   8. "रमण" ज्ञान बखान नही , मन का तुच्छ विचार ।
    बुन्द  -  बुन्द  सागर  भरे , जाय  समन्दर  पार ।।

  रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob- 9997313751

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