|| कृषि - गीत ||
एहिवेर उपजा सं भरबै बखारी ।
धैरज धरु गोरी मंगा देब सारी ।।
गरदनि में सोना क सिकरी गदायब ।
बाली गढ़ायब धनी बेसरि गढ़ायब ।।
अंग अंग सोनाक छारि देब गहना ।
अंगना चलब धनी तनके निहारी ।।
धैरज धरु-------------------------------
खेत - खेत उमरल सोनरा नगीना ।
देशक ई धन किसानक पसीना ।।
माटि तिलक तन माटिक पूजा ।
कमलक फूल हाथ खुरपी कोदारी ।।
धैरज धरु -------------------------------
खल - खल धरती देखू हँसैया ।
खेतक आरि धुर लक्ष्मी बसैया ।।
उठू किसान भैया चहकल चिड़ैयाँ ।
सुरुज किरण केर खोलल पेटारी ।।
धैरज धरु -------------------------------
ठीके दुपहरिया में हर जोति आयब ।
आहाँ के देखि धनी धाम सुखायब ।।
शीतल जल आनि भोजन करायब ।
"रमण" बैसब धनी बेनियाँ के झारी ।।
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
पंडितजी मैथिलि पंचांग २०१९-२० के कहिया तक आयत!
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