गुरुवार, 8 मार्च 2018

स्त्री दिवसक कामना

  स्त्री दिवसक  कामना 



































मनीष झा बौआभाइ


बहिन!
तोहर भाग्योदय
कोनो मनुक्खक हाथ नहि
तोरा अपनहि हाथक रेघा मे दकचल छह
नहि खटबह त' पेट कोना भरतह
माँटि कोड़ि खेबह सेहो सामर्थ्य कहाँ देने छथुन भगवान
जकरा तोरा आउर पँचबर्खा विधाता बुझलह
से फेर सँ किछु फुसिये गछि गेलह
जे गछैत रहल छह तोहर सासु-ससुर आ स्वामी केँ
तोरो चाउर-गहूम आ मटिया तेल सँ बेसी बेगरते कोन छह
अपन मजूरीक जोगाएल रुपैया सँ
दुर्गापूजा आ ईद मे नबका लत्ता पहिरबाक सौख सेहो पूर भइए' जाइत हेतह
तोहर मजूरी करब आब नहि अखरैत अछि
आ ने हृदय द्रवित होइत अछि तोहर माँथ पर चेकल पजेबा उघाइत देखि
बोल-भरोस देनिहार सेहो बेसी तेहने भेटतह
जे अपनहि अखादारुण पेट भरबा लै ततेक अपसियांत रहैछ
जे बिर्त रहैत छह तोहर घेंट कटबा लै,पेट कटबा लै
अभिमान होइत अछि तोहर ओहि स्त्रीत्व पर
जे गिद्ध सँ मासु नोचेबाक दोकान सँ अनभिज्ञ
स्वाभिमानक पसेना सँ सानल
बालु-गिट्टी-सीमेंट मिश्रित मसल्ला केँ तगाड़ नेने
महलक-महल चढ़ि जाइछ ओएह सीढ़ी
जे सीढ़ी कहियो अगिलग्गीक समय प्रयोग हेतैक
अन्यथा लिफ्ट महत्त्वहीन भ' जेतैक
सभ किछु सामान्य रहलाक बादो
एक बेर मोन फेर सशंकित भ' जाइत अछि,
कोरामे स्तनपान करैत तोहर बुचिया
इसकूलक मूँह देखतै आ कि
तोरे सन सासु-ससुर-स्वामी आ गिरहतक हाथे..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें