शनिवार, 6 जनवरी 2018

बीस गो रुपैया ,सुइद बयाजक संग


बीस गो रुपैया ,सुइद बयाजक संग ई चुटकुला मुसाय बाबाक सन्दर्भसँ लेल गेल अछि ! ओना तs बाबाक समाजक प्रति अनेको उपकार छन्हि ताहिमे एक - दोसराक प्रति परोपकार सेहो बही - खातामे लिखल गेल छनि ! मुसाय बाबाक १ अगस्त २००३ कs देहवासन भs गेलन्हि मुदा हुनकर कृति एखनो धरी समाजमे व्याप्त अछि ! बाबाकेँ धन - सम्पति अपार छलनि ताहिसँ समाजमे मान-मर्जादा बहुत निक भेटैत छलनि ! दस बीस कोससँ लोक सभ मुसाय बाबासँ सुईद (व्याज) पर पाई लैक लेल आबैत छल ! कतेको ठिकेदार कतेको महाजन सभ हुनक दालानपर बैसल रहैत छलनि ! एक बेर मुसहरबा भाइ सेहो अपन विवाहक लेल मुसाय बाबासँ बीस (२०)गो टका लेने छल ! मुसहरबा भाइ बाबाक खास नोकर छलाह तs ओकरा मुसाय बाबा कहलखिन हे मुसहरबा भाइ हम जे तोरा २०गो टका देलियो से हमरा कहिया देबह? मुसहरबा भाइ बाबासँ कहलकनि जे मालिक हम तँ बीस गो टका सुईद (व्याजक) साथ दऽ देने छी ! अहि बातपर दुनू आदमीकेँ आपसमे बहस चलय लगलनि, बहुत हद तक झगड़ा आगू बढ़ि गेल ! ताबे मे किम्हरोसँ कारी बाबु एलथि. कहलखिन- " यौ। अहाँ दुनू आदमीक आपसमे किएक झगड़ा भs रहल अछि "! मुसाय बाबा सभ बात कारी बाबुकेँ कहलखिन आर मुसहरबा भाइ सेहो सभ बात कारी बाबुकेँ सुनेलखिन्ह ! तखन कारी बाबु कहलखिन- " हे मुसहरबा भाइ । अहाँ हिनका कखन - कखन आर कोना पाइ देलियनि से हमरा कहू ........ मुसहरबा भाइ बजलाह – " सुनू कारी बाबु, आ मुसाय बाबू अहूँ ध्यान राखब हमर कतय गलती अछि ? हमरा लग अपनेक टका छल बीस (२०) आहाँ आँखी गुरारीकेँ तकलहुँ हमरा दिस एक टका तखने देलहुँ ......... टका बचल उनैस (१९) अहाँ कहलहुँ अही ठाम बैस एक टका तखने देलहुँ ......टका बचल अठारह (१८) आहाँ लागलहुँ हमरा जोर सँ धखारह एक टका तखने देलहुँ ...... टका बचल सतरह (१७) आहाँ लागलहुँ हमरा जखन तखन तंग करह एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल सोलह (१६) आहाँ लागलहुँ हमर पोल खोलह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल पंद्रह (१५) आहाँ लागलहुँ हमरा टांग गरैरकऽ पकरह एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल चौदह (१४) आहाँ लागलहुँ हमरा घर पर पहुँचह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल तेरह (१३) आहाँ लागलहुँ हमर रस्ता घेरह एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल बारह (१२) आहाँ लागलहुँ हमरा लाठीसँ मारह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल एगारह (११) आहाँ लागलो हमर कुर्ता फारह एक टका तखने देलहुँ ...... टका बचल दस (१०) अहाँ कहलहुँ हमरा जमीन पर बस एक टका तखने देलहुँ ...... टका बचल नौउह (९) आहाँ कहलहुँ हमरा ओहिठाम नोकर बनिरह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल आठ (८) आहाँ घोरैत छलहुँ खाट एक टका तखने देलहुँ .... टका बचल सात (७) आहाँ खाइत छलहुँ नून भात एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल छः (६) आहाँ उपारैत छलहुँ जौ एक टका तखने देलहुँ ....टका बचल पॉँच (५) आहाँ देखैत छलहुँ चौकी तोर नाच एक टका तखने देलहुँ...... टका बचल चारि (४) आहाँक सभ भाई मे बाझल मारि एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल तीन (३) आहाँ सभ भाई भेलहुँ भीन एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल दू (२) आहाँ कहलहुँ महादेवक पिड़ी छू एक टका तखने देलहुँ ......टका बचल एक (१) आहाँ के बाबूजीक बरखी मे दक्षिणा देल एक टका तखने देलहुँ ...... बाँकी के बचल सुईद आर व्याज | ओहिमे देलहुँ ढाई मोन प्याज ॥" जय मैथिली, जय मिथिला मदन कुमार ठाकुर, कोठिया पट्टीटोला झंझारपुर (मधुबनी) बिहार - ८४७४०४, मोबाईल +919312460150 , ईमेल - madankumarthakur@gmail.com

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