मंगलवार, 6 जून 2017

लालदाइक चिठ्ठी

||  लालदाइक  चिठ्ठी || 
 रचैता - रेवती रमण झा " रमण "
 लाल दाई हम ई  चिठ्ठी 
लिखि  रहल  छी आमक  गाछी सँ  || 
कलकतिया  केरवी  कृष्ण भोग 
बम्बइ  बिज्जू करपुरिया  पर 
पातक छाया  सँ  फुदकि -फुद्कि 
कोकिल  अछि  अपन अलाप दैत 
कचकि  उठल  मोर ह्रदय अहाँ  बिनू 
ओकर करुण - पिपासी  सँ  || 
               लाल दाई --  लिखि रहल --
पपीहा गबैत , के अछि बुझैत 
ओ  कोन  दर्द मे  अछि  व्याकुल 
की पती  विरह में  पात -पात 
अति विरहाकुल 
दू टूक  करेजी  हमर भेल 
देखि ओकर प्रवल  अभिलाषी सँ || 
                 लाल दाई --  लिखि रहल --
तोता आ मैनाक बिवाद 
अछि चलि  रहल , तोता कहल 
सुन  रे  मैना ,  ई सत्य थीक 
हो नारी  या  पुरुष  जाति 
प्रीत  जोड़ी  , जे लैत  तोरि  
ओ  मानव छली  तँ  नर्क पौत 
मरियो कउ  जायत   जँ  काशी सँ  || 
            लाल दाई --  लिखि रहल --
बुल - बुल  प्रेमक जे हर्ष - विषाद 
की थीक  स्वाद  ?
वर गीत , प्रीत के गाबि  रहल 
सुख पाबि रहल  
 अछि  तरुण  तरुणियाँ  पत - दल  में 
सप्तम स्वर पंचम कल - रव सँ  || 
              लाल दाई --  लिखि रहल --
निम् कदम्ब इमली छाया तर 
बैसल पथ कउ  नित पाँतर  में
अहाँक  कुसल हम हेरि -  हेरि 
सदिखन  पूछैइत 
नित  अहींक  ग्राम - निवासी  सँ || 
            लाल दाई --  लिखि रहल --
                         -:-


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