मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

मिथिलाक गीत

मिथिलाक गीत

पग - पग  पर  हो  मिथिलाक गीत  ।
रमण    मनोरथ     प्रवल    पुनीत ॥
मनक    बात      ब्रहाणी     जानू    ।
आँगक  गति  - बिधि  शुभे बखानू  ॥
दर  - दर   ठोकर   खूबे   खयलहूँ    ।
रहलहुँ  रगड़ति  , बयस  बितयलहुँ ॥
नीके    लागल ,  कलम   धेने   छी   ।
यतन  गढ़ी - गढ़ी  कवित  केने  छी  ॥
मति - गति  नियति , लेल सब हेरि  ।
  दल -  दल   जीवन ,  देल   अवडेरि   ॥
नगर   -  डगर   नपिते    दिन  गेल  ।
हामहि  सब  किछु , किछु नञि भेल  ॥
कुमतिक   काल  - चक्र    बौरायल   ।
 रहितहूँ  सजग , सुदिन नञि आयल ॥
जीवन  जीलहुँ  , भेल नञि  सुकारथ ।
बैह   कार्य ,   जे  अछि    परमारथ    ॥
______________

रचैता  - रेवती रमण  झा "रमण "

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें