शनिवार, 4 अप्रैल 2015

घूवाँ -मूवाँ , अटकन-मटकन , चटापटा बाबू चटापटा , अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि

देश रही विदेश रही  ,   सदिखन  याद राखी  हम  मैथिल छी , 
 याद  अच्छी  त  अहउँ  सुनाओ - लिख पठाओ  --- नवतुरिया लेल 

घूवाँ -मूवाँ

घूवाँ मूवाँ उपजे घना

बौवा के छेदा देबै कान दूनू सोना
के खतै दूध भात
बौवा खेतै दूध भात
के चाटत पात के
कौवा कुकूर चाटत पात के
बगिया में एकटा पोखैर खुनैल
आधा पोखैर अज्जुर मज्जुर
आधा पोखैर कमल फूल
बड़ी रानी छोटी रानी गेली नेहै
गहना गुरिया लेलक चोराय
आब की लेती कौवा ठोर 
कौवा ठोर त् कारी
आब की लेती साड़ी 
पुरान घर खसे, नब घर उठे ॥

अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि
जय मिथिला जयति मैथिली

अटकन-मटकन

अटकन मटकन दहिया चटकन

बैसाख मास करैला फरैय
ओइ करैला नाम की
आमुन गोटी जामुन गोटी
तेतरी सोहाग गोटी 
बाँस करैय ठांय ठांय
नदी गोंगीयैल जाय
कमलक फूल दूनू अलगल जाय
सुइया लेमैय की डोरा
सिंगही लेमैय की मुंगरी ॥


अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि
जय मिथिला जयति मैथिली 

चटापटा बाबू चटापटा

चटापटा नूनू चटापटा

हमरा नूनूके कैगो बेटा ?
छवगो ने नौगो, एके बेटा
तकरे लूड़ि-बुधि-विद्या छटा
चटापटा भाइ चटापटा
नूनूके चाहिए एके बेटा

चटापटा दाइ चटापटा
हमरा दैया के कैगो बेटा
दुइए बेटा बस दुइए बेटा
एक विज्ञानी, गुरु एकटा
दुनूके देबै दूठाम पठा
दैयो के चाहिऐ दुइए बेटा

चटापटा रे बाउ चटापटा
चाही बेटी कि चाही बेटा ?
साँच में कोन छै लटाभटा
चाही ने कोनो नंगटा-बंगटा
धियाके लेब बाउ कोंढ़े सटा
धिये सँ पायब जटिन-जटा
चटापटा भाइ चटापटा
खंज-खोहड़ि के मोन सँ हटा ॥

गीतकार
सियाराम झा सरस

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