सोमवार, 2 मार्च 2015

मिथिला भसीआइए गेल तॅ ओकरा की?

   रकार तॅ पटना आ दिल्ली सचिवालय मे बिजलीक पंखा , चिल्ड एसी रूम आ स्प्रिंगदार सोफाक बीच सुतल अछि , मिथिला भसीआइए गेल तॅ ओकरा की ? कोसी सर्वनासे करैइए तॅ ओकरा की ? मैथिल भीखमंग भ अपन मैट - पैन छोइर, अपन सभ्यता ओ संस्कृति के तिलांजलि दॅ दिल्ली कलकत्ता बम्बई मे कहुना लात जुत्ता खा कहुना अपन गुजर बसर करैइए तॅ ओकरा की ? ओकरा लेखें धइन सॅन।


ओ तॅ इंडिया के फॉरेन पॉलिसी मे व्यस्त अछि। भीतरसॅ मिथिला खुकख् भ रहल अछि , लौक  कनि रहल अछि।
मुदा ओ तॅ काला धन वापसी के नाम पर पूजी पगहा बला सब के जीहजूरी मे अपसीयाँत अछि।
कि मैथिल आबो ने जागॅब ? कहिया सजग बनब अपन अधिकार लेल ?
स्वतंत्रता प्राप्तिक ५० बरखक बाद कीयो भीखक दान बुइझ मैथिली भाषा के अस्टम सूचि मे जगह दॅ देलक तॅ भेट गेल शांती ? भेट गेल संतुष्टि? 

   यद्यपि मिथिलाक इ हालत किएक से सब जनैत अछि। हमहू ..अहूँ .. नेता ..जनतों..
तैइयो मैथिल अपन दारिद्रकें सोनाक पानि चरहौल डिब्‍बा मे बंद कॅ के बिहारक प्रदर्शनिक सोकेस मे सज्बैत अछि।
खेत पथार , सभ्यता - संस्कार के डाहि कहुना अपन अस्तित्व लेल संघर्षरत छैथ.....
फाटल चिटल केथरी जोइर आ ओहि पर सुतबाक क्रम पर आब् आर कतेक दिन गुजर हेतैख ??
कि स्वर्ग सॅ सुन्दर मिथिलाधाम के स्वप्न स्वप्ने टा रहि जेतै ?

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